सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

अब गूगल मैप्स बताएगा आपके प्लान के बारे में

अब गूगल मैप्स बताएगा आपके प्लान के बारे में गूगल ने अपने यूज़र की यात्रा को और आसान बनाने के लिए मैप्स और कैलेंडर ऐप को इंटरकनेक्ट कर दिया है। लेटेस्ट अपडेट के साथ ही एंड्रॉयड गूगल मैप्स में एक नया इनकमिंग टैब दिख रहा है जिसमें उन सभी जगहों के बारे में जानकारी दी गई है जहां यूज़र को भविष्य में जाने की जरूरत है। इसके अलावा यूज़र इन रास्तों को नेविगेट भी कर सकते हैं। गूगल मैप्स में अब आने वाले इवेंट और रिज़र्वेशन की जानकारी नए अपकमिंग टैब में दिखेगी।  इस टैब को मेन्यू में जाकर 'यॉर प्लेसेज़' सेक्शन में देखा जा सकता है।  अपकमिंग टैब में उन सभी इवेंट के बारे में जानकारी मिलेगी जो आपके कैलेंडर ऐप में हैं।  इन जगहों के लिए मैप्स में रास्ते की जानकारी भी मिलेगी।  ध्यान रखें कि कैलेंडर सेक्शन में किसी इवेंट को क्रिएट करते समय 'व्हेयर' सेक्शन जरूर भर दें।  कैलेंडर में यह सूचना डालने के बाद जब भी आप उस जगह जाएंगे तो अपने आप इसके बारे में जानकारी सबसे ऊपर दिख जाएगी।  सिर्फ प्लेस को सेलेक्ट करने से नेविगेशन स्क्रीन एक्टिवे हो जाएगा और गूगल मैप्स आपके डेस्टिनेशन तक स

ऐसे इस्तेमाल करें WhatsApp का नया Status फीचर

24 फरवरी को वॉट्सऐप का ऑफिशल बर्थडे होता है। इस बार वॉट्सऐप 8 साल का हो गया है। इस मौके पर उसने यूजर्स के लिए एक खास फीचर लेकर आया है जो बहुत हद तक इंस्टाग्राम स्टोरीज़ से मेल खाता है। अब यूजर्स वॉट्सऐप पर स्टेटस में फोटो, विडियो और GIF को डाला जा सकता है। विस्तार से समझें कि क्या है यह फीचर और कैसे इस्तेमाल कर सकते हैं इसे... Status टैब के अंदर सबसे ऊपर आपको My Status लिखा हुआ मिलेगा, उससे नीचे WhatsApp का आइकॉन बना है और नीचे दोस्तों के नाम होंगे। सबसे नीचे दाहिने कॉर्नर पर आपको एक आइकॉन बना दिखेगा। इसपर टैप करें। जैसे ही आप इसे टैप करेंगे नई स्क्रीन पर कैमरा ओपन हो जाएगा। आप कैमरे से तस्वीर या विडियो खींच सकते हैं। साथ ही कैमरा आइकॉन के ऊपर गैलरी से कुछ रीसेंट तस्वीरें और विडियोज़ भी आपको नजर आएंगे। आप या तो कैमरे से कोई तस्वीर या विडियो ले सकते हैं या फिर गैलरी से किसी को चुन सकते हैं। तस्वीर को चुन लिए जाने के बाद आपको कैप्शन ऐड करने का ऑप्शन दिखेगा।  इसके बाद आप सामने दिख रहे Arrow पर टैप करें। इसके बाद फिर स्टेटस वाला टैब खुल जाएगा, जहां पर सबसे ऊपर आ

फ्री ऐंटीवाइरस - आपके कंप्यूटर के लिए

स्मार्टफोन्स पर अगर आप कोई ऐंटीवाइरस या ऐंटी-मैलवेयर ऐप न भी इंस्टॉल करें तो चलेगा मगर पर्सनल कंप्यूटर के बारे में यह बात नहीं कही जा सकती। आपके कंप्यूटर या लैपटॉप को कई तरह से खतरा होता है। कभी इंटरनेट से वाइरस आ जाते हैं तो कभी पेन ड्राइव से। इनमें से कुछ आपके सिस्टम को करप्ट कर सकते हैं तो कुछ आपके डेटा को हैकर्स के पास भेज देते हैं। इसलिए जरूरी है कि आप अपने PC को अच्छे ऐंटीवाइरस सॉफ्टवेयर से सिक्यॉर कर लें। इसके लिए आप फ्री ऐंटी-वाइरस सॉफ्टवेयर भी इंस्टॉल कर सकते हैं जो इंटरनेट से आसानी से डाउनलोड किए जा सकते हैं। ये सिक्यॉरिटी सॉफ्टवेयर रियल-टाइम प्रॉटेक्शन देते हैं और गड़बड़ी करने वाले मैलवेयर्स के लिए स्कैनिंग करते हैं। Avira Free Antivirus यह काफी तेज है और अच्छी तरह काम करता है। विंडोज के लिए एविरा (Avira) बेहतरीन फ्री ऐंटीवाइरस है। एविरा फ्री ऐंटीवाइरस बेहद साफ-सुथरे ढंग से काम करता है और आपके सिस्टम में कम से कम दखल देता है। आप चाहें तो फ्री में दूसरे पैकेज (सिक्यॉर ब्राउजर, वीपीएन और सेफसर्च प्लगइन वगैरह) भी इंस्टॉल कर सकते है।   AVG Antivirus Free क्लि

ऐंड्रॉयड फोन या टैब से ऐसे हटाएं वायरस

ऐंड्रॉयड फोन या टैब से ऐसे हटाएं वायरस अगर आपके स्मार्टफोन में भी कोई वाइरस आ गया है तो आगे जानें, कैसे उसे पहचाना जा सकता है और कैसे हटाया जा सकता है... आमतौर पर ऐंड्रॉयड स्मार्टफोन वाइरस की चपेट में नहीं आते। कुछ ऐसे ऐड्स होते हैं, जो आपको गलत जानकारी देते हुए दिखाते हैं कि आपके फोन में वाइरस है और इसे ठीक करने के लिए हमारा ऐप डाउनलोड कर लीजिए। इसके अलावा कई बार फोन में अन्य तरह की गड़बड़ियां भी आ जाती हैं, जिससे वह ठीक से काम नहीं करता। मगर इसका मतलब यह नहीं कि ऐंड्रॉयड फोन एकदम सेफ होते हैं। इनमें भी वाइरस आ सकते हैं। हर कहीं से ऐप न डाउनलोड करें वाइरस कैसा भी हो, ऐंड्रॉयड में वह ऐप्स की मदद से घुसपैठ करता है। आपके फोन या टैब में वाइरस हो तो सबसे पहले ऐप्स चेक करें। गूगल प्ले स्टोर से बाहर का कोई भी ऐप डाउनलोड नहीं करना चाहिए। मेसेज वगैरह से आए किसी लिंक से भी ऐप डाउनलोड न करें। हाल ही में गूगल प्ले स्टोर में भी कुछ खतरनाक ऐप्स की जानकारी मिली है। इसलिए ध्यान दें कि कहीं से भी ऐप डाउनलोड करना हो, पहले उसके बारे में पूरी जानकारी जुटा लें। अगर कोई ऐप खोलने पर फोन हैंग हो

जियो के आने से मोबाइल फ़ोन के बाजार में भूचाल

जियो के आने से मोबाइल फ़ोन के बाजार में भूचाल-सा आ गया है. मुफ्त ऑफर देने के बाद जियो को 10 करोड़ ग्राहक मिलने में बस कुछ ही महीने लगे. अब जियो लोगों से पैसे देने को कह रहा है. लेकिन जो बदलाव कुछ महीने में जियो के कारण हुआ है उससे कोई भी कंपनी या ग्राहक अछूते नहीं रहे हैं. आइए जियो के कारण आए पांच बड़े बदलावों के बारे में आपको बताते हैं. सस्ता डेटा मोबाइल सर्विस इस्तेमाल करने वालों के लिए डेटा अब बहुत ही सस्ता हो गया है. जियो के आने के पहले एक गीगाबाइट डेटा के 28 दिन के इस्तेमाल के लिए कंपनियां करीब 250 रुपये ग्राहकों से लेती थीं. मुफ्त डेटा देकर जिओ ने सबसे पहले लोगों को अपनी ओर खींचा और अब उन्हें 303 रुपए में वो सब कुछ मिलेगा जो लोगों को चाहिए. देश के किसी भी नेटवर्क पर कॉल फ्री होगा और डेटा के इस्तेमाल पर कोई सीमा नहीं होगी. ये ऑफर एक साल के लिए मान्य होगा. डेटा, वॉइस में फर्क नहीं दूसरी टेलीकॉम कंपनियों के वॉइस कॉल के लिए पैसे लेने वाले प्लान अब ख़त्म हो सकते हैं. जियो ने कॉल और डेटा दोनों के लिए एक प्लान पेश करके पूरे टेलीकॉम सेक्टर के लिए नया मॉडल दिया है. दुनिया भर में टेलीक

बॉट नए ऐप होंगे - वेब रोबोट

बॉट नए ऐप होंगे - वेब रोबोट माइक्रोसाफ़्ट के सीइओ सत्या नाडेला ने क़रीब एक साल पहले दावा किया था कि बॉट नए ऐप होंगे. बॉट इंटरनेट पर दिए गए काम को करने वाले ऐप होते हैं. इन्हें वेब रोबोट भी कहा जाता है. इन बॉट में से अधिकांश प्रभावी हैं, बेकार या निष्क्रिय हैं. लेकिन इस हफ़्ते कनाडा के विक्टोरिया निवासी 14 साल के एलक जोंस ने सबकी आशाओं को जगा दिया है. पिछले छह महीने से जोंस क्रिस्टोफ़र बॉट पर काम कर रहा है. यह एक ऐसा चैट बॉट है, जो छात्रों को उनके साप्ताहिक होमवर्क को खोजने में मदद करता है. इसको सेट करने के लिए आपको बॉट के साथ केवल अपने स्कूल की टाइमिंग सेट करनी होगी. इसके बाद हर अध्याय के ख़त्म होने के बाद बॉट छात्रों को संदेश भेजकर पूछता है कि उन्हें होमवर्क मिला या नहीं. इस बॉट के काम करने का तरीका जानने के लिए मैंने 30 साल की आयु में ख़ुद को बच्चे की तरह पेश किया. बॉट ने मुझसे पूछा, क्या आपके पास गणित का होमवर्क है. मैंने जवाब दिया, हां. मुझे क्या होमवर्क मिला है, यह पूछने से पहले बॉट ने कहा, '' आपको होमवर्क देकर आपके शिक्षक को आराम की ज़रूरत है.'' मेरा जवाब थ

अगर एक दिन इंटरनेट बंद हो जाए तो!

इंटरनेट से दूर रहने का जीवन पर क्या असर होगा, इसके बारे में अमरीका के स्टैनफ़ोर्ड विश्वविद्यालय के जेफ़ हैनकॉक ने अपने छात्रों के अनुभव जानने की कोशिश की है. 2008 के पहले उनका जो अनुभव रहा वो एक साल बाद 2009 में पूरी तरह बदल गया. 2009 में पूरी क्लास ने उनके इस सवाल का जवाब एक सुर में बताने से मना कर दिया और कहा कि ये अनुचित और असंभव टास्क है. हैनकॉक ऑनलाइन कम्युनिकेशन से जुड़े मनोवैज्ञानिक और सामाजिक प्रक्रिया का अध्ययन करते हैं. छात्रों का तर्क था कि अगर वे ऑफलाइन हो जाएं तो उनके काम पर बुरा असर पड़ता है, सोशल लाइफ प्रभावित होती है और दोस्तों और परिवार को चिंता होती है कि कहीं उनके साथ कुछ अशुभ तो नहीं घटा. हैनकॉक कहते हैं, ''अध्ययन का समय 2009 था. आज मोबाइल जिस पैमाने पर इस्तेमाल हो रहा है, मुझे लगता है कि आज ऐसा पूछने पर छात्र यूनिवर्सिटी के प्रेसिडेंट को मेरी शिकायत कर सकते हैं.'' ऑनलाइन आबादी 1995 में एक प्रतिशत से भी कम लोग ऑनलाइन थे. पश्चिमी देशों में इसका अधिक प्रयोग होता था. तब इंटरनेट को लेकर लोगों में एक उत्सुकता थी. आज 20 साल बाद साढ़े तीन अरब से