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फ्री ऐंटीवाइरस - आपके कंप्यूटर के लिए

स्मार्टफोन्स पर अगर आप कोई ऐंटीवाइरस या ऐंटी-मैलवेयर ऐप न भी इंस्टॉल करें तो चलेगा मगर पर्सनल कंप्यूटर के बारे में यह बात नहीं कही जा सकती। आपके कंप्यूटर या लैपटॉप को कई तरह से खतरा होता है। कभी इंटरनेट से वाइरस आ जाते हैं तो कभी पेन ड्राइव से। इनमें से कुछ आपके सिस्टम को करप्ट कर सकते हैं तो कुछ आपके डेटा को हैकर्स के पास भेज देते हैं। इसलिए जरूरी है कि आप अपने PC को अच्छे ऐंटीवाइरस सॉफ्टवेयर से सिक्यॉर कर लें। इसके लिए आप फ्री ऐंटी-वाइरस सॉफ्टवेयर भी इंस्टॉल कर सकते हैं जो इंटरनेट से आसानी से डाउनलोड किए जा सकते हैं। ये सिक्यॉरिटी सॉफ्टवेयर रियल-टाइम प्रॉटेक्शन देते हैं और गड़बड़ी करने वाले मैलवेयर्स के लिए स्कैनिंग करते हैं। Avira Free Antivirus यह काफी तेज है और अच्छी तरह काम करता है। विंडोज के लिए एविरा (Avira) बेहतरीन फ्री ऐंटीवाइरस है। एविरा फ्री ऐंटीवाइरस बेहद साफ-सुथरे ढंग से काम करता है और आपके सिस्टम में कम से कम दखल देता है। आप चाहें तो फ्री में दूसरे पैकेज (सिक्यॉर ब्राउजर, वीपीएन और सेफसर्च प्लगइन वगैरह) भी इंस्टॉल कर सकते है।   AVG Antivirus Free क्लि

मेल किसे कहते है और जीमेल पे खाता कैसे खोले

ईमेल क्या है ईमेल की क्या आवश्यकता है और ईमेल एड्रेस क्या होता है :- इलेक्ट्रॉनिक मेल (Electronic Mail) को शोर्ट में ईमेल कहते है, कोई भी डाक या पत्र जो इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भेजा गया हो उसे ईमेल कहा जाता है. डाक भेजने के तरीके से तो आप परिचित ही होंगे पहले आप कोई लिफाफा लेते है और एक कागज पर अपना पत्र लिखते है और उसे लिफाफे में बंद करके डाक खाने में जा के वह उसे डाल देते है और डाक विभाग उस पत्र को दिए गए पते पर पंहुचा देता है. लेकिन इसमें समय की बर्बादी टिकट का खर्चा और पत्र खोने का भी डर बना रहता है. ईमेल में न तो टिकट का खर्चा न डाक खाने जाने की जरुरत और न ही पत्र खोने का डर आप कुछ ही समय में दुनिया में कभी भी कही भी ईमेल भेज सकते है और यदि किसी ने आपको ईमेल भेजा है तो आप कुछ समय में उसे प्राप्त भी कर सकते है. और सबसे अच्छी बात ईमेल की सेवा बिलकुल मुफ्त (फ्री) होती है. ईमेल की क्या आवश्यकता है ? आजकल लगभग हर जगह ईमेल एड्रेस (Email Address) माँगा जाता है जैसे - यदि आप किसी बैंक में खता खोलना चाहते है या फिर मोबाइल का कनेक्शन लेना चाहते है या प्लेन की टिकट लेना चाहते है और

डिजिटल सिग्नेचर के बारे मे जानिए

डिजिटल सिग्नेचर के बारे मे जानिए  जिस तरह आपके सामान्य दस्तखत आपकी पहचान को प्रमाणित करते हैं, उसी तरह डिजिटल सिग्नेचर का काम भी आपकी पहचान प्रमाणित करना ही है। बस फर्क यह है कि इंटरनेट के जरिये भेजे जाने वाले डॉक्युमेंट्स के मामले में इन सिग्नेचर का यूज होता है। डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट सरकार की सर्टिफाइंग अथॉरिटी इश्यू करती है। डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट डीएल जैसा कार्ड होता है। इस सर्टिफिकेट में आपकी पहचान साबित करने वाले डेटा होते हैं मसलन आपका नाम, ईमेल, अड्रेस आदि। डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट एक इलेक्ट्रॉनिक क्रेडिट कार्ड की तरह है, जो बिजनेस करते समय या वेब पर कोई भी ट्रांजैक्शन करते हुए आपकी पहचान को स्थापित करता है। इस सिग्नेचर के साथ इंटरनेट के जरिये आप जो भी डॉक्युमेंट भेजते हैं, उसकी विश्वसनीयता बनती है। इस सिग्नेचर के साथ भेजे गए डॉक्युमेंट से भेजने वाला कभी इनकार नहीं कर सकता। यह साइन यह सुनिश्चित भी करता है कि अगर कोई डॉक्युमेंट एक बार डिजिटली साइन हो गया तो फिर उसमें कोई रद्दोबदल या छेड़छाड़ नहीं की जा सकती। कौन इशू करता है? भारत सरकार की आईटी मिनिस्ट्री मे

प्रिंटर - कंप्‍युटर का आऊटपुट डिवाइस

प्रिंटर एक ऑनलाइन आउटपुट डिवाइस (Online Output Device) है जो कंप्यूटर से प्राप्त जानकारी को कागज पर छापता है कागज पर आउटपुट (Output) की यह प्रतिलिपि हार्ड कॉपी (Hard Copy) कहलाती है कंप्यूटर से जानकारी का आउटपुट (Output) बहुत तेजी से मिलता है और प्रिंटर (Printer) इतनी तेजी से कार्य नहीं कर पाता इसलिये यह आवश्यकता महसूस की गयी कि जानकारियों को प्रिंटर (Printer) में ही स्टोर (Store) किया जा सके इसलिये प्रिंटर (Printer) में भी एक मेमोरी (Memory) होती है जहाँ से यह परिणामों को धीरे-धीरे प्रिंट करता हैं| “प्रिंटर (Printer) एक ऐसा आउटपुट डिवाइस (Output Device) है जो सॉफ्ट कॉपी (Soft Copy) को हार्ड कॉपी (Hard Copy) में परिवर्तित (Convert) करता हैं|” प्रिंटिंग विधि (Printing Method):- प्रिंटिंग (Printing) में प्रिंट करने की विधि बहुत महत्वपूर्ण कारक है प्रिंटिंग विधि (Printing Method) दो प्रकार की इम्पैक्ट प्रिंटिंग (Impact Printing)  तथा नॉन-इम्पैक्ट प्रिंटिंग (Non-Impact Printing) होती है| इम्पैक्ट प्रिंटिंग (Impact Printing):- Impact Printer वे प्रिंटर होते हैं जो अपना I

आउटपुट डिवाइस - कंप्‍युटर

Output Device (आउटपुट डिवाइस) आउटपुट डिवाइस (Output Device) हार्डवेयर (Hardware) का एक अवयव अथवा कंप्यूटर का मुख्य भौतिक भाग है जिसे छुआ जा सकता है, यह सूचना के किसी भी भाग तथा सूचना के किसी भी प्रकार जैसे ध्वनि (Sound), डाटा (Data), मेमोरी (Memory), आकृतियाँ (Layout) इत्यादि को प्रदर्शित कर सकता हैं आउटपुट डिवाइसो (Output Devices) में सामान्यतः मोनिटर (Monitor) प्रिंटर(Printer)  इयरफोन(Earphone) तथा प्रोजेक्टर(Projector) सम्मिलित है “वे उपकरण जिनके द्वारा कंप्यूटर से प्राप्त परिणामों को प्राप्त किया जाता है आउटपुट डिवाइसेज कहलाते हैं” आउटपुट डिवाइस कई प्रकार के होते है | मॉनीटर (Monitor) प्रिंटर (Printer) प्लोटर (Plotter) प्रोजेक्टर (Projector) साउंड कार्ड (Sound Card) इअर फोन(Ear phone) मॉनीटर(Monitor:- मॉनीटर(Monitor) एक ऐसा आउटपुट संयंत्र (Output Device) है जो टी.वी. जैसे स्क्रीन पर आउटपुट को प्रदर्शित करता है इसे विजुअल डिस्प्ले यूनिट (Visual Display Unit) भी कहते है मॉनीटर (Monitor) को सामान्यतः उनके द्वारा प्रदर्शित रंगों के आधार पर तीन भागो

कंप्‍युटर के इनपुट डिवाइस

Input Device वे Device होते है जिनके द्वारा हम अपने डाटा या निर्देशों को Computer में Input करा सकते हैं इनपुट डिवाइस कंप्यूटर तथा मानव के मध्य संपर्क की सुविधा प्रदान करते हैं| Computer में कई Input Device होते है ये Devices Computer के मस्तिष्क को निर्देशित करती है की वह क्या करे? Input Device कई रूप में उपलब्ध है तथा सभी के विशिष्ट उद्देश्य है टाइपिंग के लिये हमारे पास Keyboard होते है, जो हमारे निर्देशों को Type करते हैं| “Input Device वे Device है जो हमारे निर्देशों या आदेशों को Computer  के मष्तिष्क, सी.पी.यू. (C.P.U.) तक पहुचाते हैं|” Input Device कई प्रकार के होते है जो निम्न प्रकार है –     Keyboard     Mouse     Joystick     Trackball     Light pen     Touch screen     Digital Camera     Scanner     Digitizer Tablet     Bar Code Reader     OMR     OCR     IMCR     ATM की-बोर्ड (Keyboard) की-बोर्ड कंप्यूटर का एक पेरिफेरल है जो आंशिक रूप से टाइपराइटर के की-बोर्ड की भांति होता हैं| की-बोर्ड को टेक्स्ट तथा कैरेक्टर इनपुट करने के ल

इनपुट, आऊटपुट और सीपीयु

Input Device:- Input Device वे Device होते है जिनके द्वारा हम अपने डाटा या निर्देशों को Computer में Input करा सकते हैं| Computer में कई Input Device होते है ये Devices Computer के मस्तिष्क को निर्देशित करती है की वह क्या करे? Input Device कई रूप में उपलब्ध है तथा सभी के विशिष्ट उद्देश्य है टाइपिंग के लिये हमारे पास Keyboard होते है, जो हमारे निर्देशों को Type करते हैं| “Input Device वे Device है जो हमारे निर्देशों या आदेशों को Computer के मष्तिष्क, सी.पी.यू. (C.P.U.) तक पहुचाते हैं|” Input Device कई प्रकार के होते है जो निम्न प्रकार है –     Keyboard     Mouse     Joystick     Trackball     Light pen     Touch screen     Digital Camera     Scanner     Digitizer Tablet     Bar Code Reader     OMR     OCR     MICR     ATM etc.  Output Device:- Output Device वे Device होते है जो User द्वारा इनपुट किये गए डाटा को Result के रूप में प्रदान करते हैं | Output Device के द्वारा कंप्यूटर से प्राप्त परिणामो (Result) को प्राप्त किया जाता है इ

कंप्यूटर के प्रकार

(कंप्यूटर के प्रकार) Computer को तीन आधारों पर वर्गीकृत किया गया हैं|     कार्यप्रणाली के आधार पर (Based on Mechanism)     उद्देश्य के आधार पर (Based on Purpose)     आकार के आधार पर (Based on Size) Based on Mechanism:-  कार्यप्रणाली के आधार पर इन्हें तीन भागो Analog, Digital, and Hybrid में वर्गीकृत किया गया हैं|  Analog Computer:-  Analog Computer वे Computer होते है जो भौतिक मात्राओ, जैसे- दाब (Pressure), तापमान (Tempressure), लम्बाई (Length), ऊचाई (Height) आदि को मापकर उनके परिमाप अंको में व्यक्त करते है ये Computer किसी राशि का परिमाप तुलना के आधार पर करते है जैसे- थर्मामीटर | Analog Computer मुख्य रूप से विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में प्रयोग किये जाते है क्योकि इन क्षेत्रो में मात्राओ का अधिक उपयोग होता हैं| उदाहरणार्थ, एक पट्रोल पम्प में लगा Analog Computer, पम्प से निकले पट्रोल कि मात्रा को मापता है और लीटर में दिखाता है तथा उसके मूल्य कि गणना करके Screen पर दिखाता हैं| Digital Computer:- Digit का अर्थ होता है अंक | अर्थात Digital Compu

कंप्यूटर का विकास

Development of Computer (कंप्यूटर का विकास)  Abacus:- Computer का इतिहास लगभग 3000 वर्ष पुराना है| जब चीन में  एक calculation Machine Abacus का अविष्कार हुआ था यह एक Mechanical Device है जो आज भी चीन, जापान सहित एशिया के अनेक देशो में अंको की गणना के लिए  काम आती थी| Abacus तारों का एक फ्रेम होता हैं  इन तारो में बीड (पकी हुई मिट्टी के गोले) पिरोये रहते हैं प्रारंभ में Abacus को व्यापारी Calculation करने के काम में Use किया करते थे यह Machine अंको को जोड़ने, घटाने, गुणा करने तथा भाग देने के काम आती हैं| Blase Pascal:- शताब्दियों के बाद अनेक अन्य यांत्रिक मशीने अंकों की गणना के लिए विकसित की गई । 17 वी शताब्दी में फ्रांस के गणितज्ञ ब्लेज पास्कल (Baize Pascal) ने एक यांत्रिक अंकीय गणना यंत्र (Mechanical Digital Calculator) सन् 1645 में विकसित किया गया । इस मशीन को एंडिंग मशीन (Adding Machine) कहते थे, क्योकि यह केवल जोड़ या घटाव कर सकती थी । यह मशीन घड़ी और ओडोमीटर के सिद्धान्त पर कार्य करती थी ।  उसमें कई दाँतेयुक्त चकरियाँ (toothed wheels) लगी होती थी जो घूमती रहती थी चक

मेमोरी किसे कहते है

Memory (मेमोरी) यह Device Input Device के द्वारा प्राप्त निर्देशों को Computer में संग्रहण (Store) करके रखता है इसे Computer की याददाश्त भी कहाँ जाता है| मानव में कुछ बातों को याद रखने के लिये मष्तिस्क होता है, उसी प्रकार Computer में डाटा को याद रखने के लिए मेमोरी (Memory)  होती हैं| यह मेमोरी C.P.U का अभिन्न अंग है,इसे Computer की मुख्य मेमोरी (Main memory), आंतरिक मेमोरी (Internal Memory), या प्राथमिक मेमोरी (Primary Memory) भी कहते हैं| “किसी भी निर्देश, सूचना, अथवा परिणामों को स्टोर करके रखना मेमोरी कहलाता हैं|” कंप्यूटरो में एक से अधिक मेमोरी होती है हम उनको सामान्यतः प्राथमिक (Primary) व द्वितीयक (Secondary) मेमोरी के रूप में वर्गीकृत कर सकते है  प्राथमिक मेमोरी अस्थिर (Volatile) तथा स्थिर (Non-Volatile) दोनों प्रकार कि होती है| अस्थिर मेमोरी (Temprery Memory) डेटा को अस्थाई रूप से कंप्यूटर ऑन होने से लेकर कंप्यूटर बंद होने तक ही रखते है अर्थात कंप्यूटर अचानक बंद होने या बिजली के जाने पर कंप्यूटर से डाटा नष्ट हो जाता है स्थिर मेमोरी (Permanent Memory) आपके कंप्यूटर को प्रारं

कम्प्यूटर के विभिन्न भाग

कम्प्यूटर के विभिन्न भाग कम्प्यूटर के मुख्यत: दो हिस्से होते हैं. 1. हार्डवेयर (Hardware) 2. सॉफ्टवेयर (Software) हार्डवेयर :  कम्प्यूटर के भौतिक हिस्से जिन्हे हम देख या छू सकते हैं वो हार्डवेयर कहलाते हैं. ये भाग मशीनी (मैकेनिकल),इलेक्ट्रीकल (electrical) या इलेक्ट्रोनिक (electronic) हो सकते हैं. हर कम्प्यूटर का हार्डवेयर अलग अलग हो सकता है. यह इस बात पर निर्भर करता है कि कम्प्यूटर किस उद्देश्य के लिये प्रयोग में लाया जा रहा है और व्यक्ति की आवश्यकता क्या है. एक कम्प्यूटर में विभिन्न तरह के हार्डवेयर होते है जिनमें मुख्य हैं.सी.पी.यू. (CPU), हार्ड डिस्क (Hard Disk) , रैम (RAM), प्रोसेसर (Processor) , मॉनीटर (Monitor) , मदर बोर्ड (Mother Board) ,फ्लॉपी ड्राइव आदि. इनकी हम विस्तार से चर्चा आगे करेंगें. कम्प्यूटर के केबल, पावर सप्लाई युनिट,की बोर्ड (Keyboard) , माउस (Mouse) आदि भी हार्डवेयर के अंतर्गत आते हैं. की बोर्ड , माउस , मॉनीटर , माइक्रोफोन , प्रिंटर आदि को कभी कभी पेरिफेरल्स (Peripherals) भी कहा जाता है. सॉफ्टवेयर :  कम्प्यूटर हमारी तरह हिन्दी या अंग्रेजी भाषा नहीं समझता.हम कम