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A Hole in the Fence

A Hole in the Fence In a small village, a little boy lived with his father and mother. He was the only son.The parents of the little boy were very depressed due to his bad temper . The boy used to get angry very soon and taunt others with his words. His bad temper made him use words that hurt others.  He scolded kids, neighbours and even his friends due to anger.  His friends and neighbours avoided him, and his parents were really worried about him. His mother and father advised him many times to control his anger and develop kindness. Unfortunately, all their attempts failed. Finally, the boy’s father came up with an idea. One day, his father gave him a huge bag of nails. He asked his son to hammer one nail to the fence every time he became angry and lost his temper. The little boy found it amusing and accepted the task. Every time he lost his temper, he ran to the fence and hammered a nail. His anger drove him to hammer nails on the fence 30 times on the first day! 

The Lion and the Mouse

The Lion and the Mouse Once when a lion, the king of the jungle, was asleep, a little mouse began running up and down on him. This soon awakened the lion, who placed his huge paw on the mouse, and opened his big jaws to swallow him. "Pardon, O King!" cried the little mouse. "Forgive me this time. I shall never repeat it and I shall never forget your kindness. And who knows, I may be able to do you a good turn one of these days!” The lion was so tickled by the idea of the mouse being able to help him that he lifted his paw and let him go. Sometime later, a few hunters captured the lion, and tied him to a tree. After that they went in search of a wagon, to take him to the zoo. Short Stories Just then the little mouse happened to pass by. On seeing the lion’s plight, he ran up to him and gnawed away the ropes that bound him, the king of the jungle. "Was I not right?" said the little mouse, very happy to help the lion. MORAL: Small acts of kindness will be

डिजिटल लॉकर या डिजिलॉकर

डिजिटल लॉकर या डिजिलॉकर, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का अहम हिस्सा है।  अंग्रेजी भाषा के शब्दों डिजिटल लॉकर का हिंदी में शाब्दिक अर्थ है अंकीय तिजोरी या इलेक्ट्रॉनिक तिजोरी जो दस्तावेजों की छायाप्रति सुरक्षित रखने के काम आती है।  भारत सरकार के संचार और आईटी मंत्रालय के द्वारा प्रबंधित इस वेबसाईट आधारित सेवा के जरिये उपयोगकर्ता जन्म प्रमाण पत्र, पासपोर्ट, शैक्षणिक प्रमाण पत्र जैसे अहम दस्तावेजों को ऑनलाइन सुरक्षित रख सकते हैं। यह सुविधा पाने के लिए बस उपयोगकर्ता के पास भारत सरकार द्वारा प्रद्दत आधार कार्ड होना चाहिए। अपना आधार अंक डाल कर उपयोगकर्ता अपना डिजिलॉकर खाता खोल सकते हैं और अपने जरूरी दस्तावेज़ सुरक्षित रख सकते हैं।  आधार अंक की अनिवार्यता होने की वजह से यह तय किया गया है कि इस सरकारी सुविधा का लाभ सिर्फ भारतीय नागरिक ही ले सकें और जिसका भी खाता हो, उसके बारे में सभी जानकारी सरकार के पास हो।  कोई भी ठग, झूठा और अप्रमाणित व्यक्ति इसका उपयोग ना कर सके इसके लिये आधार कार्ड होने की अनिवार्यता बेहद आवश्यक है क्युंकि आ

डिजिलॉकर दिलाएगा हर वक्त ड्राइविंग लाइसेंस साथ रखने से मुक्ति

डिजिलॉकर दिलाएगा हर वक्त ड्राइविंग लाइसेंस साथ रखने से मुक्ति  डिजिटलाइज़ेशन के दौर में अब ड्राइविंग भी आसान हो जाएगी। जल्द ही आप ड्राइविंग लाइसेंस और अपने वाहन की आरसी को साथ रखे बिना ड्राइविंग कर पाएंगे। बस आपको इन डॉक्यूमेंट को डिजिटल लॉकर में रखना होगा। और जरूरत पड़ने पर आप उन्हें ट्रैफिक पुलिस या किसी भी जांच एजेंसी को दिखाना होगा। डिजिलॉकर पर इस सेवा की शुरुआत बुधवार से होगी। इसे परिवहन और दूसरसंचार एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा मिलकर लॉन्च किया जाएगा। डिजिलॉकर ऐप भी बुधवार को ही लॉन्च किया जाना है। इस सेवा की शुरुआत होने के बाद आप अपने डिजिटल लॉकर में रखे ड्राइविंग लाइसेंस और आरसी को मोबाइल से ही दिखा सकते हैं। जांच में ड्राइविंग लाइसेंस या आरसी ना मिलने पर ऐप से ही ऑनलाइन जुर्माना वसूला जाएगा। दस्तावेजों की जांच करने वाले आधिकारी को भी एक ऐप की जरूरत पड़ेगी। पीएम मोदी ने इसी साल अप्रैल महीने में डिजिटल इंडिया सप्ताह की शुरुआत करते हुए आधिकारिक तौर पर डिजिटल लॉकर सर्विस डिजिलॉकर को लॉन्च किया था। यह एक वेबसाइट है, जहां पर आप अपने सारे सरकारी डॉक्यूमेंट को स्टोर

फेसबुक पर जन्मदिन, लाइव वीडियो और दूसरी नोटिफिकेशन ऐसे करें बंद

फेसबुक पर जन्मदिन, लाइव वीडियो और दूसरी नोटिफिकेशन ऐसे करें बंद      फेसबुक नोटिफकेशन कभी-कभी परेशान कर देती हैं     इन्हें डिसेबल करना आसान है     फेसबुक के सेटिंग मेन्यू में जाकर इन्हें डिसेबल कर सकते हैं     फेसबुक एस ऐसी जगह है जहां कई सारी नोटिफिकेशन मिलती हैं। हालांकि, इन पुश नोटिफिकेशन को स्मार्टफोन पर आसानी से डिसेबल किया जा सकता है। अगर आपको ख़ासतौर पर फेसबुक से परेशानी हो रही है तो इन स्टेप को अपनाएं। फोन पर अगर आप अपने आईफोन या आईपैड पर फेसबुक ऐप इस्तेमाल कर रहे हैं, तो परेशान करने वाली फेसबुक नोटिफिकेशन को इस तरह रोकें।     फेसबुक ऐप खोलें     दांयीं तरफ नीचे दिए गए 'मोर' बटन पर टैप करें     सेटिंग पर टैप करें और अकाउंट सेटिंग में जाएं।    नोटिफिकेशन पर टैप करें। यहां पर आप बर्थडे रिमाइंडर और लाइव वीडियो जैसी नोटिफिकेशन से   छुटकारा पा सकते हैं।        एंड्रॉयड पर फेसबुक ऐप पर नोटिफिकेशन को डिसेबल करने के लिए इन स्टेप को अपनाएं     फेसबुक ऐप खोलें     सबसे ऊपर दिख रहीं तीन हॉरिज़ॉन्टल लाइन पर टैप करें     अकाउंट सेटिंग पर टैप करे

Prisma एक ऐसा ऐप है जो आपकी तस्वीरों को पेंटिंग में बदल देता है...

Prisma एक ऐसा ऐप है जो आपकी तस्वीरों को पेंटिंग में बदल देता है... यह रेगुलर पिक्सल्स को मास्टरफुल ब्रश स्ट्रोक्स में बदल देता है. स्मार्टफ़ोन आज हर किसी की जरुरत बना गया है, लोग अपने स्मार्टफ़ोन के जरिये अपने दोस्तों से हर समय कनेक्ट रहते हैं.  स्मार्टफ़ोन में कैमरे के होने की वजह से भी लोग अपनी नई-नई तस्वीरें लेते हैं और फटाफट इन तस्वीरों को सोशल साइट्स पर अपने दोस्तों के साथ शेयर कर देते हैं.  लोगों के लिए तस्वीरें काफी अहम हो गई हैं और अब लोग कोई भी नई चीज़ करते हैं या किसी नई जगह जाते हैं तो वह अपनी इस गतिविधि को फटाफट सोशल साइट्स पर शेयर कर देते हैं.  अब तस्वीर सबकुछ बता देती है, तस्वीर से बड़ा कोई प्रमाण नहीं होता है, ऐसा भी हम लोग मानते हैं. अब बाज़ार में एक नया ऐप आया है जो लोगों की नार्मल तस्वीरों को पेंटिंग में बदल देता है और ये काम बहुत ही कम समय में हो जाता है. इन दिनों लोगों में Prisma ऐप बहुत ही लोकप्रिय हो रहा है, Prisma एक ऐसा ऐप है जो आपकी तस्वीरों को पेंटिंग में बदल देता है. लोग Prisma के जरिये अपनी तस्वीरों को पेंटिंग्स में बदल रहे हैं और फिर

गूगल के बारे में रोचक तथ्य

गूगल के बारे में रोचक तथ्य गूगल का नाम पहले backrub था जो की 1996 में बदल कर गूगल बना दिया गया गूगल सर्च पेज को 1996 में स्टैनफौर्ड विश्वविद्यालय, कैलिफ़ोर्निया के 2 छात्रों लैरी पेज तथा सर्गेई ब्रिन ने बनया था गूगल नाम गलती से बन गया असल में इसका नाम Googol बनना था लेकिन गलती से इसका नाम Google रख दिया गया गूगल सर्च से हर सेकंड में 60000 सर्च किये जाते है और हर साल Google पर 2095100000000 सर्च किये जाते है गूगल अपना Logo 8 बार बदल चुका है गूगल अपना Favicon 5 बार बदल चुका है Google का सर्च इंजन 100 मिलियन गीगाबाइट का हे ! उतना डाटा अपने पास सेव करने के लिए एक टेराबाइट की एक लाख ड्राइव की जरुरत होगी ! पहली बार गूगल डूडल 1998 में दिखाई दिया था 2005 में गूगल ने Android को को ख़रीदा था आज एंड्राइड डिवाइस सबसे ज्यादा है गूगल की कमाई का सबसे बड़ा कारण Adsense है लगभग 90 % कमाई ऐडसेंस से होती है। गूगल हर सेकण्ड में 50000 रू. कमाता है 2006 में गूगल ने YouTube को खरीद लिया था । Youtube पर हर मिनट के हिसाब से 60 घंटे तक वीडियो upload किए जाते हैं। वहीं दुनिया भर ल