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जनवरी, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

डिजीटल पेमेंट - भीम (BHIM) ऐप

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने  नया पेमेंट ऐप भीम (BHIM या Bharat Interface for Money) लॉन्च किया है। ऐप का नाम डॉक्टर भीम राव अंबेडर के नाम पर रखा गया है। नरेंद्र मोदी सरकार ने यह ऐप कैशलेस या लेस-कैश इकॉनमी को बढ़ावा देने के लिए शुरू की है। भीम ऐप सरकार के पुराने यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) और यूएसएसडी (अस्ट्रक्चर्ड सप्लीमेंट्री सर्विस डाटा) का ही नवीनीकृत रूप है। यहां हम आपको बताएंगे कैसे इस ऐप को डाउनलोड करें और कैसे इसका इस्तेमाल करें: ऐसे करें BHIM App डाउनलोड:   ऐप डाउनलोड करने के लिए गूगल प्ले स्टोर पर जाएं ।  प्ले स्टोर पर bhim national payment डालकर सर्च कर सकते हैं। ऐप डाउनलोड करें और स्मार्टफोन में इस्टॉल करें।  इसके बाद ऐप को ओपन करके अपने बैंक से रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर से लॉगिन करें।  इसके बाद ऐप के जरिए पैसे मंगाए या भेजे जा सकते हैं। ऐसे करें BHIM App इस्तेमाल: ऐप को ओपन करें और पासवर्ड सेट करें यहां आपको send, request, scan & Pay के विकल्प दिखाई देंगे। send पर क्लिक करें और जिसे पैसे भेजने है उसका रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर डालें व Verify करें। अग

क्या है प्रोसेसर - मोबाइल के लिए

मोबाइल फोन ही नहीं, अब उनके खरीदार भी स्मार्ट हो रहे हैं। फोन अब बस कैमरा, ऑपरेटिंग सिस्टम या स्क्रीन साइज देखकर नहीं खरीदा जाता, माइक्रोप्रोसेसर कैसा है, कितने कोर का है, उसकी क्या स्पीड है, जैसे सवाल भी लोग पूछने लगे हैं। हम आपको बता रहे हैं प्रोसेसर के बारे में: मोबाइल के लिए क्या है प्रोसेसर फर्ज कीजिए कि मोबाइल फोन अगर इंसान होता, तो प्रोसेसर उसका दिमाग होता। अपने स्मार्टफोन पर आप जो भी कमांड देते हैं, प्रोसेसर उन पर अमल करता है। प्रोसेसर जितना तेज होगा, उतनी तेज ही मल्टिटास्किंग, गेमिंग, फोटो और विडियो एडिट होंगे। इसे सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट यानी सीपीयू कहते हैं, जो एक इलेक्ट्रॉनिक सर्किट होता है। इनकी परफॉरमेंस को क्लॉक रेट की रफ्तार से नापा जाता है, यानी कोई परफॉरमेंस प्रति सेंकड के साइकल से की गई, ये हर्त्ज, किलोहर्त्ज, मेगाहर्त्ज और गीगाहर्त्ज के स्केल पर नापे जाते हैं। आमतौर पर 1 गीगाहर्त्ज से लेकर 2.4 गीगाहर्त्ज तक के प्रोसेसर मोबाइल फोन में मिल रहे हैं। कोर की कहानी आईफोन 4 तक हम सिंगल कोर प्रोसेसर ही देखते थे, यानी जिनमें एक ही प्रोसेसर कोर यूनिट होती थी। इनक

रैम और बैटरी बैकअप

आए दिन स्‍मार्टफोन मार्केट में बडे बदलाव देखने को मिल रहे है | समय के साथ ही स्‍मार्टफोन के लुक और डिजाइन समेत स्‍पेसिफिकेशन भी बदल रहे है | ऐसे मे आजकल प्रत्‍येक व्‍यक्ति स्‍मार्टफोन खरीदने से उसका बैटरी बैकअप, प्रोसेसर और रैम देखते है | यही वो चीजें है जो स्‍मार्टफोन को पावरफुल बनाते है | किसी भी स्‍मार्टफोन में रैम जितनी ज्‍यादा पावरफुल होगी वो उतना ही फास्‍ट चलेगा और हैंग होने की समस्‍या नही आएगी | रैम (RAM) अक्सर अस्थिर या वोलाटाइल प्रकार की मेमोरी (जैसे डीरैम (DRAM) मेमोरी मॉड्यूल) से संबंधित होता है जहां बिजली का संचालन बंद हो जाने पर सूचना खो जाती है। अधिकतर रोम (ROM) और नोर-फ़्लैश (NOR-Flash) कहे जाने वाले एक प्रकार के फ़्लैश मेमोरी सहित कई अन्य प्रकार की मेमोरी रैम (RAM) भी है। RAM दो प्रकार की होती है। static RAM aur daynemic RAM होती है। RAM और ROM में क्या है अंतर कंप्यूटर और मोबाइल में मुख्यत: दो तरह के मैमोरी का उपयोग होता है। रैम मैमोरी और रोम मैमोरी। आम उपभोक्ता के लिए यह समझना थोड़ा कठिन होता है कि इनमें अंतर क्या है? वहीं फोन और कंप्यूटर की खरीदारी के दौरा

क्या आपका मोबाइल हैंग हो रहा है

बीतते वक्त के साथ स्मार्टफोन के हार्डवेयर की क्षमता धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है, पर इसकी पूरी क्षमता का इस्तेमाल तब तक नहीं हो सकता जब तक फोन में बेहतरीन सॉफ्टवेयर ना हो। पर्सनल टेक्नोलॉजी की यही कमी है, फास्ट यूजर एक्सपीरियंस के लिए हॉर्डवेयर और सॉफ्टवेयर के बीच ऑप्टिमाइजेशन होना जरूरी है। इस तरह के ऑप्टिमाइजेशन का असर सबसे ज्यादा स्मार्टफोन यूजर्स को देखने को मिलता है, जो आज की तारीख में स्मार्टफोन के स्लो या हैंग होने से नाराज और परेशान रहते हैं। Android स्मार्टफोन्स के धीमे होने की कई वजहें होती हैं। शुरुआती कुछ महीनों में तो फोन ठीक-ठाक चलता है, पर धीरे-धीरे यह स्लो होने लगते है। इसका एहसास यूजर को होने भी लगता है। जो भी यूजर्स अपने Android स्मार्टफोन्स के स्लो होने से परेशान हैं, वो नीचे दिए गए टिप्स का इस्तेमाल कर सकते हैं। 1. थर्ड-पार्टी ऐप लॉन्चर इंस्टॉल करें ज्यादातर Android स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनियां अपने डिवाइस पर ऑपरेटिंग सिस्टम को कस्टमाइज कर लेती हैं। इन फोन में कंपनी द्वारा डिजाइन किए हुए स्किन्स व लॉन्चर इस्तेमाल होते हैं। ऑपरेटिंग सिस्टम के फीचर्स

माउस

  जब हमें कम्प्यूटर पर दिखाई दे रही किसी वस्तु को छूना या उसे चुनना होता है तो ऐसा हम माउस की मदद से करते हैं। माउस को हिलाने से उसके नीचे लगा गोलाकार पहिया स्क्रीन पर दिख रही पेंसिल/तीर (कर्सर) को उपर या नीचे जाने का निर्देश भेजता है। जब हम माउस के उपर लगे बटन को दबाते हैं तो उस वक्त पटल पर तीर जिस वस्तु के उपर होता है वह चुन ली जाती है। जैसे इस पृष्ठ पर दिये हुए किसी कडी तक हमें जाना है तो अपने माउस को हिलाकर तीर को वहाँ तक ले जाना होगा। फिर बटन दबाकर (क्लिक करने) से हम उस कडी को चुनते हैं। आज माउस के बिना कंप्यूटर पर काम करना असंभव सा लगता है लेकिन कंप्यूटर को अपनी लंबी विकास यात्रा में माउस का साथ बहुत बाद में मिला। माउस से आम लोगों का परिचय 1981 में हुआ जब जीरोक्स स्टार 8010 कंप्यूटर के साथ पहली बार माउस बाजार में आया। हालांकि माउस को आम लोगों के बीच लोकप्रिय बनाने का श्रेय एपल कंपनी को जाता है जिसने 1984 में अपने मैकिन्टोश कंप्यूटर में माउस का प्रयोग शुरू किया। जरा सोचिए, उससे पहले लोग बिना माउस के कैसे काम चलाते होंगे? असल में, पहले कंप्यूटर स्क्रीन पर ग्राफिक्स (चित्र

4G के बारे मे जानकारी

  हैलो दोस्‍तो, आज हम 4G के बारे मे चर्चा करने जा रहे है | देखते ही देखते कब हम वायरलेस इंटरनेट फैसीलीटी इस्‍तेमाल करने लगे पता ही नही चला | कहा जाता है our nature is our future और शायद इसी कारणवश हमारा स्‍वभाव मोबाईल डिवाइस की तरह हो गया बिल्‍कुल एक उँगली पे थम गया है | इसकी क्‍या वजह है टेक्‍नॉलॉजी का अॅट्रक्‍शन या फिर मार्केटींग की जरुरत खैर इस बारे में बाद में भी चर्चा हो सकती है आज देखते है यह 4G क्‍या है | 4G यानी 4th जेनरेशन मोबाइल टेलीकम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी. 3G के मुकाबले 4 गुना तेज होगा 4G. अभी 3G में 21mbps की स्पीड मिलती है 4G में 100mbps की स्पीड मिलेगी. 3G पर जिस गाने को डाउनलोड करने में आपको अगर 8 सेकंड लगते हैं तो 4G में यही गाना 2 सेकंड से भी कम में डाउनलोड हो जाएगा. आप साधारण इंटरनेट पर जो वीडियो देखते हैं वो काफी रूक रूक कर  चलता  है. पर 4G में यही वीडियो,फिल्में या टीवी के शो बिना किसी रूकावट के देख सकते हैं. 4G इंटरनेट पर किसी भी वेबसाइट लोड होने में चंद सेकंड  ही लगेंगे. 4G सर्विसा का इस्तेमाल कर मोबाइल पर स्काईप और हैंगआउट के जरिए वीडियो कॉल आसानी से बिना

कि-बोर्ड

हैलो दोस्‍तो, आज मै आपको कॉम्‍प्‍युटर कि-बोर्ड के बारे में जानकारी देने जा रहा हुँ | आशा करता हुँ यह जानकारी आपको पसंद आयेगी | आज साल 2017 मे सबके पास अँड्राइड मोबाईल है और उसमे इंटरनेट इस्‍तेमाल की सुविधा भी है जिसके की हम सोशल साईटस का इस्‍तेमाल कर सकते | किंतु आपको मै बताना चाहता हु कि हम कमेंट या चॅट और रिप्‍लाय के लिए मोबाईल स्क्रिन पे टाईप कर सकते है लेकिन क्‍या आपने कभी सोचा है की किसी अखबार का लेख या फिर कोई जानकारी देनी है तो क्‍या हम एक उँगली से यह सब टाईप कर पाएंगे| मेरे खयाल से इसका जवाब हमे देने कि जरुरत नही है |    कॉम्‍प्‍युटर कि-बोर्ड कि रचना टाईप-रायटर मशीन (QWERTY) द्वारा प्रभावित है | टाईप रायटर के बटन एक मेकॅनिकल लिवर का काम करते है जिस कारण बटन दबाते ही लिवर के कारण कार्बन रिबन पे अक्षर की मार गिरती है वह कागज पे छप जाता है |लेकिन यहा हम कोई अक्षर गलत हो जाने पर सुधार नही सकते और एक पेज की केवल और दो कार्बन कॉपीज एक ही वक्‍त बना सकते | यहा डेटा सेव करने की सुविधा भी नही होती है इसी कारण कॉम्‍प्‍युटर का इस्‍तेमाल बढ गया और जो बाते टाइप रायटर मशीन मे न

दुष्काळग्रस्त शेतकऱ्याची मुलगी

“ज्यांच्यावर संकट येतात ती माणसं नशीबवान असतात” दुष्काळग्रस्त शेतकऱ्याची मुलगी पोलीस अकादमीच्या इतिहासात ‘सर्वोत्कृष्ट प्रशिक्षणार्थी’ पदाचा मान मिळविणारी पहिली महिला अधिकारी ! मीना तुपे यांच्या महत्वाकांक्षा आणि मेहनतीला सलाम! राज्याच्या पोलीस प्रबोधिनीच्या शंभर वर्षांहून अधिकच्या इतिहासात पहिल्यांदाच एखाद्या मुलीने देखील सर्वोत्कृष्ट प्रशिक्षणार्थीचा किताब मिळवून हेच दाखवून दिले आहे. मुलगी शिकली तर आई-वडीलांचे नाव कसे उजळू शकते त्याचे हे उदाहरण! मीना तुपेच्या कामगिरीने बीड जिल्ह्य़ातील दगडी शहाजानपुरा या छोटय़ाशा गावाचे नाव प्रकाशझोतात आले आहे. पोलीस उपनिरीक्षक पदासाठी प्रबोधिनीत १३ महिन्यांचे खडतर प्रशिक्षण घ्यावे लागते. लहानपणापासून शेतीची अंगमेहनतीची कामे करणाऱ्या मीनाला हे प्रशिक्षण त्यामुळे खडतर भासलेच नाही. कारण अगदी लहानपणापासून मीना शेतात नांगरणी, खुरपणी अशी सर्व कामे करत असे. चार बहिणी आणि एक भाऊ असलेल्या मीनाच्या कुटुंबाची आर्थिक परिस्थिती तशी बेताचीच. चार एकर कोरडवाडू शेतीवर गुजराण करणाऱ्या या कुटुंबातल्या चार बहिणींमध्ये सर्वात लहान असणाऱ्या मीनाचे शिक्षिका होण्

ग्रामिण भागात क्रिकेट स्‍पर्धा

सोनपेठसारख्‍या ग्रामिण भागात क्रिकेट स्‍पर्धा ठेवल्‍या त्‍याबद्दल परभणी जिल्‍हा परिषद अध्‍यक्ष श्री राजेशदादा विटेकर व श्री अॅड. श्रीकांतभैया विटेकर यांचे मनःपूर्वक आभार व धन्‍यवाद.... क्रिकेट स्‍पर्धा ठेवणे ही काही साधारण व सोपी गोष्‍ट राहीलेली नाही व सलग दरवर्षी क्रिकेट स्‍पर्धा ठेवणे हे खरेच अवघड, जिकीरीचे, खर्चीक व जिम्‍मेदारीचे काम आहे..... महत्‍वाचे म्‍हणजे काही ठिकाणी मनासारखे यश मिळाले नसतानाही फक्‍त तरुणांच्‍या आवडीचा विचार करुन, फक्‍त आणि फक्‍त तरुणांना प्रोत्‍साहन देण्‍यासाठी स्‍पर्धेचे आयोजन करणे या जिगरबाज मनाला व सर्व ज्‍यांनी क्रिकेट स्‍पर्धा कोठेही गालबोट न लागता एक आदर्श स्‍पर्धा कशा पद्धतीने नियोजनपूर्वक घेतली गेली पाहीजे हे कृतीने दाखविणा-या त्‍या सर्व तरुण मित्रांना मानाचा मुजरा.... -ः स्‍पर्धेचा कालावधी ः- दि. 25 डिसेंबर 2016 ते दि. 20 जाने. 2017 (जवळपास 1 महिना) सहभागी संघ ः- 120 संघ  पंच :  श्री अभिजितभैया लोमटे, एकनाथ महामुनी,  कॉमेंट्री : कोंडीबा पांढरे (मराठीमध्‍ये उत्‍कृष्‍ठ अशी कॉमेडी  कॉमेंट्री कशी करावी याचे

अर्धा भरलेला पाण्याचा ग्लास

एका शिक्षिकेने अर्धा भरलेला पाण्याचा ग्लास हातात धरला आणि सर्व विद्यार्थ्यांवरएक नजर टाकली. प्रत्येकाला वाटले की आता मॅडम विचारतील की हा ग्लास भरलेला आहे की रिकामा ? पण एक स्मित हास्य करुन मॅडम ने प्रश्न केला, "या ग्लासचं वजन किती असेल कुणी सांगेल का ?" कुणी म्हणालं 100 ग्रॅम तर कुणी200 ग्रॅम . एक जण तर म्हणाला - मॅडम, अर्धा किलो ! मॅडम ने पुन्हा एकदा स्मित हास्य करुन बोलण्यास सुरुवात केली, " याचं वजन मोजमाप करुन सांगितल्याने फारसा फरक पडणार नाही ! मुळात वजन काहिही असो, जर का मी हा ग्लास एक मिनीट असाच धरुन ठेवला तर मला काही त्रास होणार नाही . एक तास धरुन ठेवला तर हात दुखेल . आणि दिवस भर असाच ठेवला तर ... ? तर हात खुप जड होईल, ईतका की बधीर होउन निकामीच ह्वावा ... आपल्या आयुष्यातील तणाव अन् चिंतांच पण असंच असतं . क्षण भर विचार करा , काही वाटणार नाही . पण मनात धरुन बसाल तर ... तुमचं मन पण असंच जड होत होत बधिर होईल ! ईतकं की तुम्ही काही करुच शकणार नाहीत ! तेव्हा व्यर्थ चिंता करणं सोडा . मनाला हलकं करा . आणि निरंतर अल्हाद दायक जिवन जगायला शिका ... आयुष्य खुप सुंदर आहे ....

स्वताच्या मनाला पुन्हा एकदा लढ म्हणा

*बॅड पॅच- एक संघर्ष...* प्रत्येकाच्या आयुष्यात किमान एक तरी 'बॅड पॅच' येतो. शांत सुरळीत सुरु असलेल्या आयुष्यात करीयर मध्ये काहीतरी बिघडतं, नात्यांमध्ये काहीतरी बिघडतं, व्यवहारांचा काहीतरी लोच्या होतो, पैशांची बिकट  वाट लागते...नड येते आणि बहुदा हे सारं एकदमच, एकाच वेळी घडतं!! हा असा बॅड पॅच आला की तो आपल्या आयुष्यात महिना दोन महिने किंवा क्वचित दोन चार वर्षंही रेंगाळतो... आपलं आयुष्य आंतर्बाह्य हालवून टाकतो... आयुष्य नकोसं करुन सोडतो... आपण कितीही नको म्हणलं, टाळायचं ठरवलं तरी हा असा बॅड पॅच येतो.... ... संपूर्ण आयुष्यात एक-दोन-चार-सहा कितीही वेळा येतो... अन आपल्याला तो भोगावा, अनुभवावाच लागतो... कितीही नकोसा वाटला, कितीही त्रास झाला तरी या बॅड पॅचचे काही विलक्षण फायदेही असतात!! यातले दोन प्रमुख फायदे म्हणजे: १. खरोखर आपलं कोण आहे आणि कोण नाही हे बॅडपॅच असतानाच कळतं... आपल्या वाईट आणि पडत्या काळातही कोण आपल्या सोबत खंबीरपणे उभं रहातं, कोण आपला हात सोडत नाही, कोण आपल्या पाठीशी आधार देत उभं रहातं हे फक्त बॅडपॅच असतानाच उमगतं! २. आपली स्वतःची आपल्याला नव्यानं ओळख