मोबाइल फोन ही नहीं, अब उनके खरीदार भी स्मार्ट हो रहे हैं। फोन अब बस कैमरा, ऑपरेटिंग सिस्टम या स्क्रीन साइज देखकर नहीं खरीदा जाता, माइक्रोप्रोसेसर कैसा है, कितने कोर का है, उसकी क्या स्पीड है, जैसे सवाल भी लोग पूछने लगे हैं। हम आपको बता रहे हैं प्रोसेसर के बारे में:
मोबाइल के लिए क्या है प्रोसेसर
फर्ज कीजिए कि मोबाइल फोन अगर इंसान होता, तो प्रोसेसर उसका दिमाग होता। अपने स्मार्टफोन पर आप जो भी कमांड देते हैं, प्रोसेसर उन पर अमल करता है। प्रोसेसर जितना तेज होगा, उतनी तेज ही मल्टिटास्किंग, गेमिंग, फोटो और विडियो एडिट होंगे। इसे सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट यानी सीपीयू कहते हैं, जो एक इलेक्ट्रॉनिक सर्किट होता है। इनकी परफॉरमेंस को क्लॉक रेट की रफ्तार से नापा जाता है, यानी कोई परफॉरमेंस प्रति सेंकड के साइकल से की गई, ये हर्त्ज, किलोहर्त्ज, मेगाहर्त्ज और गीगाहर्त्ज के स्केल पर नापे जाते हैं। आमतौर पर 1 गीगाहर्त्ज से लेकर 2.4 गीगाहर्त्ज तक के प्रोसेसर मोबाइल फोन में मिल रहे हैं।
कोर की कहानी
आईफोन 4 तक हम सिंगल कोर प्रोसेसर ही देखते थे, यानी जिनमें एक ही प्रोसेसर कोर यूनिट होती थी। इनकी रफ्तार में कोई शक नहीं था, लेकिन जिस तरह फोन पर ज्यादा से ज्यादा मल्टि-मीडिया फीचर्स आ रहे हैं, अब आठ कोर वाले प्रोसेसर तक बन रहे हैं। इसे और आसानी से समझते हैं। ड्यूल-कोर प्रोसेसर को समझ लीजिए कि वह दो दिमाग वाला प्रोसेसर है, जिसमें दो सीपीयू कोर को एक प्रोसेसर में रखा गया है। अब आप फोन पर जितनी ज्यादा कमांड देंगे, दोनों प्रोसेसर मिलकर उसे अंजाम देंगे, जो सिंगल कोर से ज्यादा तेज होंगे और कम बैटरी भी खर्च करेंगे। सीपीयू का साइज तो कंपनियां एक लिमिट तक ही बढ़ा सकती हैं, क्योंकि इनके आड़े हीटिंग जैसे मसले आ सकते हैं, लेकिन उसे एक से ज्यादा कोर देकर परफॉर्मेंस अगले लेवल तक ले जाई जा सकती है। ड्यूल-कोर के बाद हमें क्वॉड-कोर (चार), हेक्सा-कोर (छह) और ऑक्टा-कोर (आठ) प्रोसेसर देखने को मिलते हैं। अब हालत यह है कि क्वॉड-कोर भी आम फीचर होता जा रहा है।
कोर की कारीगरी
ज्यादा कोर होने से फोन की परफॉरमेंस कैसे सुधरती है, इसे समझने के लिए एक ड्यूल-कोर प्रोसेसर की मिसाल लेते हैं। मसलन आप ट्रैवल कर रहे हैं और फोन के नैविगेशन और म्यूजिक, दोनों फीचर्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसे में ऑपरेटिंग सिस्टम नेविगेशन का काम एक सीपीयू को म्यूजिक स्ट्रीमिंग का दूसरे सीपीयू को दे सकता है। या कोई मल्टि-थ्रेड वाला ऐप है, तो वह उसके अलग-अलग काम, अलग-अलग सीपीयू को दे सकता है, यानी एक टास्क दोनों के बीच बंट जाता है। इससे दोनों कोर अपनी पूरी रफ्तार में जाए बिना टास्क पूरा सकते हैं, पूरी रफ्तार में न जाने से फ्रीक्वेंसी भी कम रहती है और फोन की बैटरी कम खर्च होती है, परफॉरमेंस तो सुधरती ही है।
ज्यादा कोर बोले तो...
1. ज्यादा तेज गेमिंग : जब आप कोई स्पीड या ऐक्शन गेम खेलते हैं तो मल्टि-कोर प्रोसेसर इसे स्मूद बनाता है, गेम कहीं अटकता नहीं है और 3D इफेक्ट का पूरा मजा मिलता है। गेमिंग कंसोल की टक्कर का एक्स्पीरियंस अब मोबाइल में मल्टि-कोर प्रोसेसर से ही आया है।
2. फुल एचडी विडियो : मल्टि-कोर प्रोसेसर से आपको फोन की स्क्रीन पर 1080 पिक्सल्स तक का विडियो रेकॉर्ड या प्ले मिलता है। अब तो अल्ट्रा एचडी प्लेबैक को हैंडल करने की क्षमता मोबाइल प्रोसेसर में आ चुकी है। बड़ी स्क्रीन पर लोग बेहतर विडियो प्लेबैक चाहते हैं। इसी तरह मोबाइल फोन के ज्यादा दमदार होते कैमरों को भी प्रोसेसरों से अच्छा सपोर्ट मिला है।
3. मल्टि-टास्किंग : एक साथ कई फीचर्स पर काम करने के लिए फोन की स्पीड अच्छी होनी चाहिए। मल्टि-टैब इंटरनेट सर्फिंग, मल्टि-विंडो, पॉपअप विडियो जैसे फीचर बिना मल्टि-कोर प्रोसेसर के सोचे भी नहीं जा सकते थे। इंटरनेट स्पीड बढ़ने के साथ फोन की स्पीड को इन्होंने तेज किया।
4. बैटरी लाइफ : स्क्रीन बड़ी हो रही हैं, चमक बढ़ रही है, लेकिन बैटरी की अपनी सीमाएं हैं। कम से कम एक दिन पूरा चलने वाला बैटरी अब अच्छी मानी जाती है। ज्यादा कोर से मोबाइल की बैटरी लाइफ पर भी अच्छा असर दिखता है। सभी कोर के बीच काम बंट जाने से और जब जिस प्रोसेसर की जरूरत न हो, उसके रूक जाने से, बैटरी काफी बचती है। जब जहां ज्यादा काम की जरूरत होती है तो ये किसी एक पर भी ज्यादा बोझ नहीं पड़ने देते।
प्रोसेसर तेरे कितने नाम
कोर तो अहम हैं, लेकिन प्रोसेसर अलग अलग कंपनियां बनाती हैं और उनकी परफॉर्मेंस भी अलग होती है। तो जरूरी नहीं कि हर क्वॉड-कोर प्रोसेसर एक-सा हो। मसलन सबसे बड़ी कंपनी क्वालकॉम को ही लें, उसके स्नैपड्रैगन प्रोसेसर 600 और 800 को लें। 600 मिड और हाई एंड फोन में है और यह 1.9 गीगाहर्त्ज तक की स्पीड पर दौड़ सकता है। साथ में एड्रिनो 320 ग्राफिक चिप से लैस है। जबकि स्नैपड्रैगन 800 सीरीज इस वक्त सबसे ज्यादा फास्ट है, जो अल्ट्रा एचडी डिस्प्ले, 55 मेगापिक्सल्स कैमरे, 4K विडियो रिकॉर्डिंग तक को हैंडल कर सकता है, 2.3 गीगाहर्त्ज तक की स्पीड दे सकता है। यह एड्रिनो 330 ग्राफिक चिप से लैस है। यानी एक ही कंपनी के दो तरह के ये प्रोसेसर हैं। मिड रेंज के फोन में स्नैपड्रैगन 400 और कम दाम के फोन में आपको स्नैपड्रैगन 200 प्रोसेसर मिल सकता है।
मोबाइल के लिए क्या है प्रोसेसर
फर्ज कीजिए कि मोबाइल फोन अगर इंसान होता, तो प्रोसेसर उसका दिमाग होता। अपने स्मार्टफोन पर आप जो भी कमांड देते हैं, प्रोसेसर उन पर अमल करता है। प्रोसेसर जितना तेज होगा, उतनी तेज ही मल्टिटास्किंग, गेमिंग, फोटो और विडियो एडिट होंगे। इसे सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट यानी सीपीयू कहते हैं, जो एक इलेक्ट्रॉनिक सर्किट होता है। इनकी परफॉरमेंस को क्लॉक रेट की रफ्तार से नापा जाता है, यानी कोई परफॉरमेंस प्रति सेंकड के साइकल से की गई, ये हर्त्ज, किलोहर्त्ज, मेगाहर्त्ज और गीगाहर्त्ज के स्केल पर नापे जाते हैं। आमतौर पर 1 गीगाहर्त्ज से लेकर 2.4 गीगाहर्त्ज तक के प्रोसेसर मोबाइल फोन में मिल रहे हैं।
कोर की कहानी
आईफोन 4 तक हम सिंगल कोर प्रोसेसर ही देखते थे, यानी जिनमें एक ही प्रोसेसर कोर यूनिट होती थी। इनकी रफ्तार में कोई शक नहीं था, लेकिन जिस तरह फोन पर ज्यादा से ज्यादा मल्टि-मीडिया फीचर्स आ रहे हैं, अब आठ कोर वाले प्रोसेसर तक बन रहे हैं। इसे और आसानी से समझते हैं। ड्यूल-कोर प्रोसेसर को समझ लीजिए कि वह दो दिमाग वाला प्रोसेसर है, जिसमें दो सीपीयू कोर को एक प्रोसेसर में रखा गया है। अब आप फोन पर जितनी ज्यादा कमांड देंगे, दोनों प्रोसेसर मिलकर उसे अंजाम देंगे, जो सिंगल कोर से ज्यादा तेज होंगे और कम बैटरी भी खर्च करेंगे। सीपीयू का साइज तो कंपनियां एक लिमिट तक ही बढ़ा सकती हैं, क्योंकि इनके आड़े हीटिंग जैसे मसले आ सकते हैं, लेकिन उसे एक से ज्यादा कोर देकर परफॉर्मेंस अगले लेवल तक ले जाई जा सकती है। ड्यूल-कोर के बाद हमें क्वॉड-कोर (चार), हेक्सा-कोर (छह) और ऑक्टा-कोर (आठ) प्रोसेसर देखने को मिलते हैं। अब हालत यह है कि क्वॉड-कोर भी आम फीचर होता जा रहा है।
कोर की कारीगरी
ज्यादा कोर होने से फोन की परफॉरमेंस कैसे सुधरती है, इसे समझने के लिए एक ड्यूल-कोर प्रोसेसर की मिसाल लेते हैं। मसलन आप ट्रैवल कर रहे हैं और फोन के नैविगेशन और म्यूजिक, दोनों फीचर्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसे में ऑपरेटिंग सिस्टम नेविगेशन का काम एक सीपीयू को म्यूजिक स्ट्रीमिंग का दूसरे सीपीयू को दे सकता है। या कोई मल्टि-थ्रेड वाला ऐप है, तो वह उसके अलग-अलग काम, अलग-अलग सीपीयू को दे सकता है, यानी एक टास्क दोनों के बीच बंट जाता है। इससे दोनों कोर अपनी पूरी रफ्तार में जाए बिना टास्क पूरा सकते हैं, पूरी रफ्तार में न जाने से फ्रीक्वेंसी भी कम रहती है और फोन की बैटरी कम खर्च होती है, परफॉरमेंस तो सुधरती ही है।
ज्यादा कोर बोले तो...
1. ज्यादा तेज गेमिंग : जब आप कोई स्पीड या ऐक्शन गेम खेलते हैं तो मल्टि-कोर प्रोसेसर इसे स्मूद बनाता है, गेम कहीं अटकता नहीं है और 3D इफेक्ट का पूरा मजा मिलता है। गेमिंग कंसोल की टक्कर का एक्स्पीरियंस अब मोबाइल में मल्टि-कोर प्रोसेसर से ही आया है।
2. फुल एचडी विडियो : मल्टि-कोर प्रोसेसर से आपको फोन की स्क्रीन पर 1080 पिक्सल्स तक का विडियो रेकॉर्ड या प्ले मिलता है। अब तो अल्ट्रा एचडी प्लेबैक को हैंडल करने की क्षमता मोबाइल प्रोसेसर में आ चुकी है। बड़ी स्क्रीन पर लोग बेहतर विडियो प्लेबैक चाहते हैं। इसी तरह मोबाइल फोन के ज्यादा दमदार होते कैमरों को भी प्रोसेसरों से अच्छा सपोर्ट मिला है।
3. मल्टि-टास्किंग : एक साथ कई फीचर्स पर काम करने के लिए फोन की स्पीड अच्छी होनी चाहिए। मल्टि-टैब इंटरनेट सर्फिंग, मल्टि-विंडो, पॉपअप विडियो जैसे फीचर बिना मल्टि-कोर प्रोसेसर के सोचे भी नहीं जा सकते थे। इंटरनेट स्पीड बढ़ने के साथ फोन की स्पीड को इन्होंने तेज किया।
4. बैटरी लाइफ : स्क्रीन बड़ी हो रही हैं, चमक बढ़ रही है, लेकिन बैटरी की अपनी सीमाएं हैं। कम से कम एक दिन पूरा चलने वाला बैटरी अब अच्छी मानी जाती है। ज्यादा कोर से मोबाइल की बैटरी लाइफ पर भी अच्छा असर दिखता है। सभी कोर के बीच काम बंट जाने से और जब जिस प्रोसेसर की जरूरत न हो, उसके रूक जाने से, बैटरी काफी बचती है। जब जहां ज्यादा काम की जरूरत होती है तो ये किसी एक पर भी ज्यादा बोझ नहीं पड़ने देते।
प्रोसेसर तेरे कितने नाम
कोर तो अहम हैं, लेकिन प्रोसेसर अलग अलग कंपनियां बनाती हैं और उनकी परफॉर्मेंस भी अलग होती है। तो जरूरी नहीं कि हर क्वॉड-कोर प्रोसेसर एक-सा हो। मसलन सबसे बड़ी कंपनी क्वालकॉम को ही लें, उसके स्नैपड्रैगन प्रोसेसर 600 और 800 को लें। 600 मिड और हाई एंड फोन में है और यह 1.9 गीगाहर्त्ज तक की स्पीड पर दौड़ सकता है। साथ में एड्रिनो 320 ग्राफिक चिप से लैस है। जबकि स्नैपड्रैगन 800 सीरीज इस वक्त सबसे ज्यादा फास्ट है, जो अल्ट्रा एचडी डिस्प्ले, 55 मेगापिक्सल्स कैमरे, 4K विडियो रिकॉर्डिंग तक को हैंडल कर सकता है, 2.3 गीगाहर्त्ज तक की स्पीड दे सकता है। यह एड्रिनो 330 ग्राफिक चिप से लैस है। यानी एक ही कंपनी के दो तरह के ये प्रोसेसर हैं। मिड रेंज के फोन में स्नैपड्रैगन 400 और कम दाम के फोन में आपको स्नैपड्रैगन 200 प्रोसेसर मिल सकता है।
स्नैपड्रैगन 800 : 2.7 गीगाहर्त्ज क्वॉड क्रेट प्रोसेसर 450 सीपीयू तक, ग्राफिक एड्रिनो 420 जीपीयू, एक गीगा पिक्सल तक कैमरा सपोर्ट, अल्ट्रा एचडी विडियो प्ले बैक या कैप्चर जैसी क्षमता
स्नैपड्रैगन 600 : 1.9 गीगाहर्त्ज क्वॉड क्रेट 300 सीपीयू तक, एड्रिनो 320 जीपीयू, 21 मेगापिक्सल तक कैमरा, 1080 पिक्सल एचडी विडियो प्लेबैक
स्नैपड्रैगन 400 : 1.7 गीगाहर्त्ज ड्यूल क्रेट 300 सीपीयू तक, एड्रिनो 306 जीपीयू, 13.5 मेगापिक्सल तक कैमरा, 1080 एचडी विडियो प्लेबैक
स्नैपड्रैगन 200 : 1.4 गीगाहर्त्ज तक सीपीयू, 302 जीपीयू, 8 मेगापिक्सल तक कैमरा, 720 पिक्सल विडियो प्लेबैक
इसी तरह इन क्वालकॉम में ही इन प्रोसेसरों की एस1, एस2, एस3 और एस4 सीरीज हैं, जिनमें एस 4 सबसे अडवांस्ड है।
यानी काम की बात यह है कि सिर्फ गीगाहर्त्ज और कोर के नंबर से परफॉर्मेंस तय नहीं होती। हर दाम की रेंज के हिसाब से अलग प्रोसेसर हैं।
यह भी हैं दौड़ में
क्वालकॉम स्नैपड्रैगन के अलावा एनवीडिया प्रोसेसर भी काफी मशहूर हैं। एनवीडिया ने हालांकि अपनी लेटेस्ट टेग्रा K1 सीरीज निकाली, लेकिन टेग्रा 4, टेग्रा 3 बाजार में हैं। K1 में 2.3 गीगाहर्त्ज तक क्लॉक स्पीड, अल्ट्रा एचडी प्लेबैक जैसे दम हैं। टेग्रा 4 को चाइनीज कंपनी जीटीई ने अपने 4G फोन के साथ लॉन्च किया था, वहीं माइक्रोसॉफ्ट ने भी सरफेस टैबलट में यही प्रोसेसर रखा।
स्नैपड्रैगन 600 : 1.9 गीगाहर्त्ज क्वॉड क्रेट 300 सीपीयू तक, एड्रिनो 320 जीपीयू, 21 मेगापिक्सल तक कैमरा, 1080 पिक्सल एचडी विडियो प्लेबैक
स्नैपड्रैगन 400 : 1.7 गीगाहर्त्ज ड्यूल क्रेट 300 सीपीयू तक, एड्रिनो 306 जीपीयू, 13.5 मेगापिक्सल तक कैमरा, 1080 एचडी विडियो प्लेबैक
स्नैपड्रैगन 200 : 1.4 गीगाहर्त्ज तक सीपीयू, 302 जीपीयू, 8 मेगापिक्सल तक कैमरा, 720 पिक्सल विडियो प्लेबैक
इसी तरह इन क्वालकॉम में ही इन प्रोसेसरों की एस1, एस2, एस3 और एस4 सीरीज हैं, जिनमें एस 4 सबसे अडवांस्ड है।
यानी काम की बात यह है कि सिर्फ गीगाहर्त्ज और कोर के नंबर से परफॉर्मेंस तय नहीं होती। हर दाम की रेंज के हिसाब से अलग प्रोसेसर हैं।
यह भी हैं दौड़ में
क्वालकॉम स्नैपड्रैगन के अलावा एनवीडिया प्रोसेसर भी काफी मशहूर हैं। एनवीडिया ने हालांकि अपनी लेटेस्ट टेग्रा K1 सीरीज निकाली, लेकिन टेग्रा 4, टेग्रा 3 बाजार में हैं। K1 में 2.3 गीगाहर्त्ज तक क्लॉक स्पीड, अल्ट्रा एचडी प्लेबैक जैसे दम हैं। टेग्रा 4 को चाइनीज कंपनी जीटीई ने अपने 4G फोन के साथ लॉन्च किया था, वहीं माइक्रोसॉफ्ट ने भी सरफेस टैबलट में यही प्रोसेसर रखा।
मीडियाटेक के प्रोसेसर आपको भारत में अधिकतर फोन में मिलेंगे। यह कंपनी क्वालकॉम के चैलेंजर के तौर पर देखी जा रही है। इसकी सबसे बड़ी खूबी कम दाम में ज्यादा पावरफुल प्रोसेसर हैं। कंपनी बेहद कम दाम में अपना ऑक्टा-कोर प्रोसेसर M 6595 इसी हफ्ते लाई है। 4G आने के साथ जिस तरह कम दाम के एलटीई रेडी हैंडसेट की डिमांड बढ़ेगी, उसमें मीडियाटेक प्रोसेसरों से लैस हैंडसेट बाजार में खूब आएंगे। अभी तक यह एशिया में ही मशहूर थी, लेकिन इस हफ्ते ऑक्टा-कोर प्रोसेसर लाने के साथ वह अमेरिकी बाजार में भी हंगामे के लिए तैयार है। इनके अलावा सैमसंग, इंटेल, ऐपल के भी अपने प्रोसेसर हैं।
अब कैसे करें फैसला
प्रोसेसर एक से बढ़कर एक हो सकता है। पहले आप देखिए कि आपका इस्तेमाल कैसा है। क्या आप वाकई मल्टिटास्किंग या हार्ड गेमिंग वाले शख्स हैं। अगर ऐसा है तो आपके फोन को बेहतर परफॉरमेंस वाला प्रोसेसर चाहिए। महंगे फोन में आपको ये मिलेंगे। लेकिन आपका यूज स्मार्टफोन बेसिक वाला है, तो प्रोसेसर आपके लिए अकेली देखने वाली चीज नहीं होगा। हां इतना जरूर है कि जो कंपनी हैंडसेट बनाती है, उसने अलग-अलग रेंज और उसके फीचर के हिसाब से ही इन्हें चुना होगा।
स्मार्टफोन की शुरुआत हुई तो 400 मेगाहर्ट्ज और 500 मेगाहर्ट्ज तक प्रोसेसर का उपयोग किया गया। 800 मेगाहट्र्ज वाले स्मार्टफोन को बहुत अच्छे कहे जाते थे। आज भी कम रेंज के स्मार्टफोन में 700-800 मेगाहर्ट्ज तक के प्रोसेसर का उपयोग किया जा रहा है। परंतु मोबाइल प्रोसेसर क्षेत्र में नया बदलाव तब आया जब क्वालकाॅम ने पहली बार मोबाइल के लिए 1 गीगाहट्र्ज प्रोसेसर को पेश किया। वर्ष 2009 में तोशिबा टीजी01 में इस प्रोसेसर का उपयोग किया गया। स्मार्टफोन की पहचान ही प्रोसेसर बन गए। जिस फोन में जितना ताकतवर प्रोसेसर था वह उतना एडवांस गिना जाने लगा।
क्या है मेगाहर्ट्ज
मेगाहर्ट्ज गीगाहर्ट्ज का ही छोटा संस्करण है। एक मेगाहर्ट्ज प्रति सेकंड एक लाख फ्रीक्वेंसी का प्रतिनिधित्व करता है। माइक्रोप्रोसेसरों की इस गति को क्लॉक स्पीड भी कहा जाता है जिसे मेगाहर्ट्ज़ में मापा जाता है। जहां शुरूआत में स्मार्टफोन में 400 मेगाहर्ट्ज और 500 मेगाहर्ट्ज तक के प्रोसेसर उपयोग किए जाते थे वहीं अब गीगाहर्ट्ज वाले स्मार्टफोन भी बाजार में उपलब्ध हैं।
प्रोसेसर के प्रकार
जहां शुरूआत में केवल एक या दो कोर प्रोसेसर वाले स्मार्टफोन ही बाजार उपलब्ध थे। वहीं अब आठ कोर वाले प्रोसेसर भी बाजार में उपलब्ध हैं। जैसे प्रोसेसर की संख्या में बढ़ोतरी होती गई वैसे ही फोन में परफॉर्मेंस भी तीव्र हो रही है।
सिंगल कोर प्रोसेसर- सिंगल कोर प्रोसेसर में एक ही प्रोसेसिंग यूनिट होता है। एक ही प्रोसेसिंग यूनिट होने की वजह से डाटा का हस्तांतरण बहुत हद तक सीमित हो जाता है। जहां मल्टीटास्किंग के दौरान थोड़ी समस्या होती है। प्रोसेसिंग क्षमता धीमी हो जाती है। सिंगल कोर प्रोसेसर आधारित फोन उन लोगें के लिए अच्छा कहा जा सकता है तो फीचर फोन से स्मार्टफोन पर मूव करना चाह रहे हैं। इसमें आप साधारण इंटरनेट और छोटे मोटे गेम ही चला सकते हैं।
डुअल कोर प्रोसेसर- डुअल कोर प्रोसेसर में कोर यूनिट दो होते हैं। कोर यूनिट दो होने से डिवाइस कार्यों को दो बराबर भागों में बांट देता है। इससे मल्टीटास्किंग आसान हो जाती है। यदि आप आपने में फोन साधारण एप्लिकेशन का उपयोग करना चाहते हैं तो डुअल कोर प्रोसेसर वाले फोन आपके लिए बेहतर हैं। इसमें आप इंटरनेट के साथ कुछ एप्लिकेशन भी ओपेन कर सकते हैं। ज्यादा डाटा अपलोड और डाउनलोड के लिए यह बेहतर नहीं कहा जा सकता।
क्वाडकोर प्रोसेसर- डुअल कोर की अपेक्षा इसमें दो अतिरिक्त कोर होते हैं जो डाटा हस्तांतरण को बेहतर बनाते हैं। अब जहां एक नहीं, दो नहीं बल्कि चार कोर हैं। इसमें मल्टीटास्किंग और बेहतर हो जाती है। आप एक साथ ढेर सारे एप्लिकेशन ओपेन कर सकते हैं और गेमिंग का मजा भी ले सकते हैं। इसमें आप अच्छे ग्रफिक्स वाले गेम रन कर सकते हैं। क्वालकॉम स्नैपड्रैगन 810 एक बेहतर क्वाडकोर प्रोसेसर चिपसेट है। वहीं हाल में क्वालकॉम द्वारा प्रदर्शित स्नैपड्रैगन 820 क्वाडकोर प्रोसेसर पर आधारित है जिसे नई कोरयो प्रोसेसर तकनीक से लैस किया गया है। यह प्रोसेसर फिलहाल सबसे ताकतवर प्रोसेसर माना जा रहा है।
हेक्सा कोर- सबसे पहले सैमसंग ने हेक्सा कोर प्रोसेसर के साथ गैलेक्सी नोट 3 नियो को लाॅन्च किया था। हेक्सा कोर में छह कोर होते हैं। यह पिछले दोनों प्रोसेसर के मुकाबले और भी तीव्र गति से कार्य करता है। इस प्रोसेसर पर मल्टीटास्किंग के दौरान फोन हैंग कम होगा और आप उच्च ग्राफिक्स वाले गेम का भी मजा ले सकते हैं। क्वालकॉम स्नैपड्रैगन 808 भी बेहतर हेक्साकोर प्रोसेसर चिपसेट है। पिछले साल लॉन्च नेक्सस 5एक्स को इसी चिपसेट पर पेश किया गया है।
आॅक्टाकोर- ये आज के जमाने का प्रेसेसर है जो फोन को बेहद ही स्मार्ट बानाता है। आॅक्टाकोर प्रोसेसर में आठ कोर होते हैं। डाटा डाउनलोड-अपलोड के अलवा वीडियो डाउनलोटिंग और स्ट्रींग मेंं के लिए यह प्रोसेसर खास कहा जा सकता है। वहीं इसमें मल्टीटास्किंग और गेमिंग का भी अनुभव शानदार होता है। वहीं इसे बेहतर बैकअप के लिए भी जाना जाता है। क्वालकॉम स्नैपड्रैगन 615 और स्नैपड्रैगन 617 आदि आॅक्टाकोर चिपसेट हैं। वहीं मीडिया टेक हेलियो पी10 भी बेहतर आॅक्टाकोर प्रोसेसर वाला चिपसेट जाना जाता है। वहीं आॅक्टाकोर प्रोसेसर के साथ सैमसंग का एक्सनोस 8890 चिपसेट भी बेहद ताकतवर है।
प्रोसेसर के साथ ही फोन में चिपसेट भी महत्वपूर्ण होता है। ऐसे में प्रोसेसर के साथ चिपसेट की समझ होने से आपको बेहतर स्मार्टफोन का चयन करना आसान हो जाएगा। फोन की फंक्शनिंग के लिए चिपसेट ही जिम्मेदार होता है। आइए जानते है कुछ चिपसेट निर्माता कंपनी और उनकी परफॉर्मेंस के बारे में।
1. क्वालकॉम
अमेरिकी कंपनी क्वालकॉम स्नैपड्रैगन नाम से चिपसेट बनाती है। बाजार में कंपनी अब तक 200, 400, 600 और 800 सीरीज में स्नैपड्रैगन चिपसेट पेश कर चुकी है। हाल में क्वॉलकॉम ने 820 चिपसेट पेश किया है जिसे फिलहाल विश्व का सबसे ताकतवर प्रोसेसर वाला चिपसेट कहा जा रहा है।
2. मीडियाटेक
चिपसेट निर्माता कंपनी मीडियाटेक एमटीके नाम से प्रोसेसर बनाती है। कम कीमत के फोन में मीडियाटेक चिपसेट का उपयोग बहुत ज्यादा होता है। हालांकि ऐसा नहीं है कि कंपनी के पास ताकतवर प्रोससर नहीं है। हेलियो एक्स10, हेलियो एक्स20 और हेलियो पी10 जैसे चिपसेट आक्टाकोर प्रोसेसर से लैस हैं जो बेहतर परफॉर्मेंस के लिए जानी जाती हैं।
3. इंटेल
इंटेल विशेष तौर से कंप्यूटर के लिए चिपसेट निर्माण के लिए जानी जाती है लेकिन पिछले कुछ सालों में कंपनी ने स्मार्टफोन में भी दस्तक दिया है। इंटेल द्वारा स्मार्टफोन के लिए निर्मित एटॉम चिपसेट में कंपनी एटॉम एक्स3, एटॉम एक्स5 और एटॉम एक्स7 बाजार में उतार चुकी है। असूस, जोलो और लेनोवो के फोन में इंटेल एटॉम चिपसेट देखने के मिला है।
4. एनवीडिया
चिपसेट निर्माता कंपनी एनवीडिया टेग्रा नाम से चिपसेट का निर्माण करती है। बेहतर परफॉर्मेंस देने में एनवीडिया टेग्रा चिपसेट सक्षम है। यह पीसी के अलावा गेमिंग कंसोल और मोबाइल डिवाइस में उपयोग होता है।
5. एप्पल
विश्व प्रमुख स्मार्टफोन निर्माता कंपनी एप्पल आईफोन और आईपैड के लिए खुद का प्रोसेसर उपयोग करती है। हाल में कंपनी द्वारा लॉन्च आईफोन 6एस और 6एस प्लस में ए9 चिपसेट का उपयोेग किया गया है। इससे पहले के डिवाइस में कंपनी ने ए8 चिपसेट का उपयोग किया गया था।
6. स्प्रेडट्रम
यह कंपनी सस्ते मोबाइल फोन के लिए चिपसेट का निर्माण करती है। अब तक यह केवल फीचर फोन में ही उपयोग किया जाता था। किंतु अब माइक्रोमैक्स और लावा जैसी कंपनियां भी स्प्रेडट्रम चिपसेट पर आधारित स्मार्टफोन बाजार में पेश कर चुकी हैं।
7. हाईसिलिकॉन
यह हुआवई की ही कंपनी है। जो कि चिपसेट निर्माण का कार्य करती है। इसके अंतर्गत किरीन नाम से चिपसेट पेश किए गए हैं जिसमें किरीन 950 को हाल ही में पेश किया गया। इस चिपसेट में बेहतर मल्टीटॉस्किंग की क्षमता है।
अब कैसे करें फैसला
प्रोसेसर एक से बढ़कर एक हो सकता है। पहले आप देखिए कि आपका इस्तेमाल कैसा है। क्या आप वाकई मल्टिटास्किंग या हार्ड गेमिंग वाले शख्स हैं। अगर ऐसा है तो आपके फोन को बेहतर परफॉरमेंस वाला प्रोसेसर चाहिए। महंगे फोन में आपको ये मिलेंगे। लेकिन आपका यूज स्मार्टफोन बेसिक वाला है, तो प्रोसेसर आपके लिए अकेली देखने वाली चीज नहीं होगा। हां इतना जरूर है कि जो कंपनी हैंडसेट बनाती है, उसने अलग-अलग रेंज और उसके फीचर के हिसाब से ही इन्हें चुना होगा।
स्मार्टफोन की शुरुआत हुई तो 400 मेगाहर्ट्ज और 500 मेगाहर्ट्ज तक प्रोसेसर का उपयोग किया गया। 800 मेगाहट्र्ज वाले स्मार्टफोन को बहुत अच्छे कहे जाते थे। आज भी कम रेंज के स्मार्टफोन में 700-800 मेगाहर्ट्ज तक के प्रोसेसर का उपयोग किया जा रहा है। परंतु मोबाइल प्रोसेसर क्षेत्र में नया बदलाव तब आया जब क्वालकाॅम ने पहली बार मोबाइल के लिए 1 गीगाहट्र्ज प्रोसेसर को पेश किया। वर्ष 2009 में तोशिबा टीजी01 में इस प्रोसेसर का उपयोग किया गया। स्मार्टफोन की पहचान ही प्रोसेसर बन गए। जिस फोन में जितना ताकतवर प्रोसेसर था वह उतना एडवांस गिना जाने लगा।
क्या है मेगाहर्ट्ज
मेगाहर्ट्ज गीगाहर्ट्ज का ही छोटा संस्करण है। एक मेगाहर्ट्ज प्रति सेकंड एक लाख फ्रीक्वेंसी का प्रतिनिधित्व करता है। माइक्रोप्रोसेसरों की इस गति को क्लॉक स्पीड भी कहा जाता है जिसे मेगाहर्ट्ज़ में मापा जाता है। जहां शुरूआत में स्मार्टफोन में 400 मेगाहर्ट्ज और 500 मेगाहर्ट्ज तक के प्रोसेसर उपयोग किए जाते थे वहीं अब गीगाहर्ट्ज वाले स्मार्टफोन भी बाजार में उपलब्ध हैं।
प्रोसेसर के प्रकार
जहां शुरूआत में केवल एक या दो कोर प्रोसेसर वाले स्मार्टफोन ही बाजार उपलब्ध थे। वहीं अब आठ कोर वाले प्रोसेसर भी बाजार में उपलब्ध हैं। जैसे प्रोसेसर की संख्या में बढ़ोतरी होती गई वैसे ही फोन में परफॉर्मेंस भी तीव्र हो रही है।
सिंगल कोर प्रोसेसर- सिंगल कोर प्रोसेसर में एक ही प्रोसेसिंग यूनिट होता है। एक ही प्रोसेसिंग यूनिट होने की वजह से डाटा का हस्तांतरण बहुत हद तक सीमित हो जाता है। जहां मल्टीटास्किंग के दौरान थोड़ी समस्या होती है। प्रोसेसिंग क्षमता धीमी हो जाती है। सिंगल कोर प्रोसेसर आधारित फोन उन लोगें के लिए अच्छा कहा जा सकता है तो फीचर फोन से स्मार्टफोन पर मूव करना चाह रहे हैं। इसमें आप साधारण इंटरनेट और छोटे मोटे गेम ही चला सकते हैं।
डुअल कोर प्रोसेसर- डुअल कोर प्रोसेसर में कोर यूनिट दो होते हैं। कोर यूनिट दो होने से डिवाइस कार्यों को दो बराबर भागों में बांट देता है। इससे मल्टीटास्किंग आसान हो जाती है। यदि आप आपने में फोन साधारण एप्लिकेशन का उपयोग करना चाहते हैं तो डुअल कोर प्रोसेसर वाले फोन आपके लिए बेहतर हैं। इसमें आप इंटरनेट के साथ कुछ एप्लिकेशन भी ओपेन कर सकते हैं। ज्यादा डाटा अपलोड और डाउनलोड के लिए यह बेहतर नहीं कहा जा सकता।
क्वाडकोर प्रोसेसर- डुअल कोर की अपेक्षा इसमें दो अतिरिक्त कोर होते हैं जो डाटा हस्तांतरण को बेहतर बनाते हैं। अब जहां एक नहीं, दो नहीं बल्कि चार कोर हैं। इसमें मल्टीटास्किंग और बेहतर हो जाती है। आप एक साथ ढेर सारे एप्लिकेशन ओपेन कर सकते हैं और गेमिंग का मजा भी ले सकते हैं। इसमें आप अच्छे ग्रफिक्स वाले गेम रन कर सकते हैं। क्वालकॉम स्नैपड्रैगन 810 एक बेहतर क्वाडकोर प्रोसेसर चिपसेट है। वहीं हाल में क्वालकॉम द्वारा प्रदर्शित स्नैपड्रैगन 820 क्वाडकोर प्रोसेसर पर आधारित है जिसे नई कोरयो प्रोसेसर तकनीक से लैस किया गया है। यह प्रोसेसर फिलहाल सबसे ताकतवर प्रोसेसर माना जा रहा है।
हेक्सा कोर- सबसे पहले सैमसंग ने हेक्सा कोर प्रोसेसर के साथ गैलेक्सी नोट 3 नियो को लाॅन्च किया था। हेक्सा कोर में छह कोर होते हैं। यह पिछले दोनों प्रोसेसर के मुकाबले और भी तीव्र गति से कार्य करता है। इस प्रोसेसर पर मल्टीटास्किंग के दौरान फोन हैंग कम होगा और आप उच्च ग्राफिक्स वाले गेम का भी मजा ले सकते हैं। क्वालकॉम स्नैपड्रैगन 808 भी बेहतर हेक्साकोर प्रोसेसर चिपसेट है। पिछले साल लॉन्च नेक्सस 5एक्स को इसी चिपसेट पर पेश किया गया है।
आॅक्टाकोर- ये आज के जमाने का प्रेसेसर है जो फोन को बेहद ही स्मार्ट बानाता है। आॅक्टाकोर प्रोसेसर में आठ कोर होते हैं। डाटा डाउनलोड-अपलोड के अलवा वीडियो डाउनलोटिंग और स्ट्रींग मेंं के लिए यह प्रोसेसर खास कहा जा सकता है। वहीं इसमें मल्टीटास्किंग और गेमिंग का भी अनुभव शानदार होता है। वहीं इसे बेहतर बैकअप के लिए भी जाना जाता है। क्वालकॉम स्नैपड्रैगन 615 और स्नैपड्रैगन 617 आदि आॅक्टाकोर चिपसेट हैं। वहीं मीडिया टेक हेलियो पी10 भी बेहतर आॅक्टाकोर प्रोसेसर वाला चिपसेट जाना जाता है। वहीं आॅक्टाकोर प्रोसेसर के साथ सैमसंग का एक्सनोस 8890 चिपसेट भी बेहद ताकतवर है।
प्रोसेसर के साथ ही फोन में चिपसेट भी महत्वपूर्ण होता है। ऐसे में प्रोसेसर के साथ चिपसेट की समझ होने से आपको बेहतर स्मार्टफोन का चयन करना आसान हो जाएगा। फोन की फंक्शनिंग के लिए चिपसेट ही जिम्मेदार होता है। आइए जानते है कुछ चिपसेट निर्माता कंपनी और उनकी परफॉर्मेंस के बारे में।
1. क्वालकॉम
अमेरिकी कंपनी क्वालकॉम स्नैपड्रैगन नाम से चिपसेट बनाती है। बाजार में कंपनी अब तक 200, 400, 600 और 800 सीरीज में स्नैपड्रैगन चिपसेट पेश कर चुकी है। हाल में क्वॉलकॉम ने 820 चिपसेट पेश किया है जिसे फिलहाल विश्व का सबसे ताकतवर प्रोसेसर वाला चिपसेट कहा जा रहा है।
2. मीडियाटेक
चिपसेट निर्माता कंपनी मीडियाटेक एमटीके नाम से प्रोसेसर बनाती है। कम कीमत के फोन में मीडियाटेक चिपसेट का उपयोग बहुत ज्यादा होता है। हालांकि ऐसा नहीं है कि कंपनी के पास ताकतवर प्रोससर नहीं है। हेलियो एक्स10, हेलियो एक्स20 और हेलियो पी10 जैसे चिपसेट आक्टाकोर प्रोसेसर से लैस हैं जो बेहतर परफॉर्मेंस के लिए जानी जाती हैं।
3. इंटेल
इंटेल विशेष तौर से कंप्यूटर के लिए चिपसेट निर्माण के लिए जानी जाती है लेकिन पिछले कुछ सालों में कंपनी ने स्मार्टफोन में भी दस्तक दिया है। इंटेल द्वारा स्मार्टफोन के लिए निर्मित एटॉम चिपसेट में कंपनी एटॉम एक्स3, एटॉम एक्स5 और एटॉम एक्स7 बाजार में उतार चुकी है। असूस, जोलो और लेनोवो के फोन में इंटेल एटॉम चिपसेट देखने के मिला है।
4. एनवीडिया
चिपसेट निर्माता कंपनी एनवीडिया टेग्रा नाम से चिपसेट का निर्माण करती है। बेहतर परफॉर्मेंस देने में एनवीडिया टेग्रा चिपसेट सक्षम है। यह पीसी के अलावा गेमिंग कंसोल और मोबाइल डिवाइस में उपयोग होता है।
5. एप्पल
विश्व प्रमुख स्मार्टफोन निर्माता कंपनी एप्पल आईफोन और आईपैड के लिए खुद का प्रोसेसर उपयोग करती है। हाल में कंपनी द्वारा लॉन्च आईफोन 6एस और 6एस प्लस में ए9 चिपसेट का उपयोेग किया गया है। इससे पहले के डिवाइस में कंपनी ने ए8 चिपसेट का उपयोग किया गया था।
6. स्प्रेडट्रम
यह कंपनी सस्ते मोबाइल फोन के लिए चिपसेट का निर्माण करती है। अब तक यह केवल फीचर फोन में ही उपयोग किया जाता था। किंतु अब माइक्रोमैक्स और लावा जैसी कंपनियां भी स्प्रेडट्रम चिपसेट पर आधारित स्मार्टफोन बाजार में पेश कर चुकी हैं।
7. हाईसिलिकॉन
यह हुआवई की ही कंपनी है। जो कि चिपसेट निर्माण का कार्य करती है। इसके अंतर्गत किरीन नाम से चिपसेट पेश किए गए हैं जिसमें किरीन 950 को हाल ही में पेश किया गया। इस चिपसेट में बेहतर मल्टीटॉस्किंग की क्षमता है।
Microprocessor
जवाब देंहटाएंkya hai or kaise kaam karta hai