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मार्च, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

साइकिल का ऐसा मॉडल तैयार किया है जिसकी खूबियां देख वैज्ञानिक भी हैरान

हिमाचल की इस बेटी ने साइकिल से किया ऐसा अविष्कार, वैज्ञानिक भी हैरान  हिमाचल में रहने वाली और 9वीं कक्षा में पढ़ने वाली इस छात्रा ने साइकिल का ऐसा मॉडल तैयार किया है जिसकी खूबियां देख वैज्ञानिक भी हैरान है। इस मॉडल से देश में नई क्रांति आ सकती है। अब इस छात्रा को राष्ट्रपति भवन तक से बुलाया आया है। 4 से 10 मार्च तक राष्ट्रपति भवन में फेस्टिवल ऑफ इनोवेशन -2017 का आयोजन किया जा रहा है। इसमें राष्ट्रीय इंस्पायर अवार्ड प्राप्त भारत के 60 नन्हें वैज्ञानिक हिस्सा ले रहे हैं। हिमाचल की ओर से दीपिका का तैयार मॉडल भी प्रदर्शित किया जाएगा जो पहले से चर्चा में आ गया है। गौरतलब है कि इस नन्हीं वैज्ञानिक दीपिका ने अपने एक सामान्य साइकिल के मॉडल से वैज्ञानिकों को हैरत में डाल दिया है। मॉडल के माध्यम से मोबाइल चार्जिंग, शारीरिक व्यायाम, योगा, बिजली उत्पादन और संग्रहण और वाटर लिफ्टिंग आदि तकनीक विकसित की गई हैं। यानि सिर्फ कुछ पैडल चलाने भर से ही बिजली पैदा होगी, साथ ही एक जगह स्टोर भी होगी। यही नहीं इसी दौरान वाटर लिफ्टिंग की क्रिया भी होती रहेगी। साथ ही अगर इस तकनीक को विकसित किया जाता है त

10 दिन की मोहलत

10 दिन की मोहलत एक राजा था ।उसने 10 खूंखार जंगली कुत्ते पाल रखे थे ।जिनका इस्तेमाल वह लोगों को उनके द्वारा की गयी गलतियों पर मौत की सजा देने के लिए करता था । एक बार कुछ ऐसा हुआ कि राजा के एक पुराने मंत्री से कोई गलती हो गयी। अतः क्रोधित होकर राजा ने उसे शिकारी कुत्तों के सम्मुख फिकवाने का आदेश दे डाला। सजा दिए जाने से पूर्व  राजा ने मंत्री से उसकी आखिरी इच्छा पूछी। “राजन ! मैंने आज्ञाकारी सेवक के रूप में आपकी 10 सालों से सेवा की है…मैं सजा पाने से पहले आपसे 10 दिनों की मोहलत चाहता हूँ ।” मंत्री ने राजा से निवेदन किया । राजा ने उसकी बात मान ली । दस दिन बाद राजा के सैनिक मंत्री को पकड़ कर लाते हैं और राजा का इशारा पाते ही उसे खूंखार कुत्तों के सामने फेंक देते हैं। परंतु यह क्या कुत्ते मंत्री पर टूट पड़ने की बाजए अपनी पूँछ हिला-हिला कर मंत्री के ऊपर कूदने लगते हैं और प्यार से उसके पैर चाटने लगते हैं। राजा आश्चर्य से यह सब देख रहा था उसने मन ही मन सोचा कि आखिर इन खूंखार कुत्तों को क्या हो गया है ? वे इस तरह क्यों व्यवहार कर रहे हैं ? आखिरकार राजा से रहा नहीं गया उसने मंत्री से पुछा ,

सही दिशा - Right Direction

सही दिशा एक पहलवान जैसा, हट्टा-कट्टा, लंबा-चौड़ा व्यक्ति सामान लेकर किसी स्टेशन पर उतरा। उसनेँ एक टैक्सी वाले से कहा कि मुझे साईँ बाबा के मंदिर जाना है। टैक्सी वाले नेँ कहा- 200 रुपये लगेँगे। उस पहलवान आदमी नेँ बुद्दिमानी दिखाते हुए कहा- इतने पास के दो सौ रुपये, आप टैक्सी वाले तो लूट रहे हो। मैँ अपना सामान खुद ही उठा कर चला जाऊँगा। वह व्यक्ति काफी दूर तक सामान लेकर चलता रहा। कुछ देर बाद पुन: उसे वही टैक्सी वाला दिखा, अब उस आदमी ने फिर टैक्सी वाले से पूछा – भैया अब तो मैने आधा से ज्यादा दुरी तर कर ली है तो अब आप कितना रुपये लेँगे? टैक्सी वाले नेँ जवाब दिया- 400 रुपये। उस आदमी नेँ फिर कहा- पहले दो सौ रुपये, अब चार सौ रुपये, ऐसा क्योँ। टैक्सी वाले नेँ जवाब दिया- महोदय, इतनी देर से आप साईँ मंदिर की विपरीत दिशा मेँ दौड़ लगा रहे हैँ जबकि साईँ मँदिर तो दुसरी तरफ है। उस पहलवान व्यक्ति नेँ कुछ भी नहीँ कहा और चुपचाप टैक्सी मेँ बैठ गया। इसी तरह जिँदगी के कई मुकाम मेँ हम किसी चीज को बिना गंभीरता से सोचे सीधे काम शुरु कर देते हैँ, और फिर अपनी मेहनत और समय को बर्बाद कर उस काम को